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झारखंड की राजनीति में 77 के आंकड़े की चर्चा, जानिए क्या है यह नंबर

एक तरफ झारखंड में राज्यसभा चुनाव को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच मंथन का दौर चल रहा है, तो वहीं दूसरी ओर संख्याबल को लेकर भी कई तरह की बातें हो रही है.

Number game in Jharkhand regarding Rajya Sabha elections
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Published : May 24, 2022, 9:36 PM IST

रांची: झारखंड में राज्यसभा चुनाव की अधिसूचना जारी हो गई है. 2 सीटों पर झारखंड में राज्यसभा के लिए चुनाव होना है. इसके लिए पार्टी अपनी तरफ से तैयारी भी कर रही हैं और उम्मीदवारों के नाम पर मुहर लगाने की योजना बंद कमरों में चल रही है. लेकिन आम चलन में एक बात जोर पकड़ रही है कि 81 विधायकों वाले झारखंड में इस बार राज्यसभा चुनाव के लिए संभवत है 77 का ही आंकड़ा सटीक बैठे. क्योंकि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों राजनीति में चल रही जांच का अगर कोई ऐसा परिणाम जल्दी और सही मामलों में आ जाता है तो विधानसभा में सदस्यों की संख्या राज्यसभा चुनाव में कुल पूर्णांक से बदली हुई मिलेगी.

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झारखंड में कुल विधायकों की संख्या 81 है. एक मनोनीत सदस्य होते हैं जिसे मिलाकर कुल संख्या 82 होती है. लेकिन वर्तमान में जो हालात हैं उसको लेकर के जो चर्चा चल रही है उसमें बंधु तिर्की की सदस्यता पहले ही जा चुकी है और जांच में जो लोग हैं उनमें हेमंत सोरेन और बसंत सोरेन भी हैं और बीजेपी के एक विधायक हैदराबाद में अपना इलाज करवा रहे हैं. ऐसे में माना यह जा रहा है कि जिस तरीके से जांच एजेंसियां जांच कर रही हैं और राजनीति का जो हालात झारखंड में बना हुआ है अगर इसमें कोई भी बड़ा बदलाव हो गया तो कुल सदस्य संख्या में बदलाव आना लाजमी है. चुनाव आयोग के फैसले पर यदि सोरेन बंधु की सदस्यता जाती है तो राज्य में राज्यसभा चुनाव के लिए अंक गणित 77 पर तय हो सकती है.

विधानसभा में दलगत स्थिति

निर्वाचन आयोग से हेमंत सोरेन और बसंत सोरेन को जवाब देने के लिए समय दे दिया गया है. बसंत सोरेन को 30 मई को निर्वाचन आयोग में अपना पक्ष रखना है जबकि हेमंत सोरेन को 31 मई को अपना पक्ष निर्वाचन आयोग के समक्ष पेश होकर देना है. इस मामले में विधि विशेषज्ञों का कहना है कि जिस तरीके की चर्चा हो रही है इसका कोई आधार इस रूप में नहीं है कि कोई फैसला जल्द आ जाएगा. क्योंकि जवाब के बाद भी विचार करने का समय होता है और राज्यसभा का चुनाव 10 जून को होना है. उसके पहले कोई फैसला आ जाएगा यह नहीं कहा जा सकता. लेकिन एक बात तो जरूर है कि झारखंड की राजनीति जिस तरीके के सियासी पेंच और भ्रष्टाचार की राजनीति में उलझी पड़ी हुई है उसमें अगर कोई फैसला आ जाता है तो निश्चित तौर पर सदस्य संख्या में बदलाव हो जाएगा, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है लेकिन एक बात तो तय है कि बंधु तिर्की की सदस्यता जा चुकी है और हैदराबाद में भाजपा के जो विधायक इलाज करवा रहे हैं उनका राज्यसभा के चुनाव में वोटिंग के लिए जा पाना संभव नहीं दिख रहा है. अब देखने वाली बात यह होगी राज्यसभा के चुनाव में झारखंड विधानसभा का गिना जाने वाला वोट कितना निकलता है?

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