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झारखंड में मिलावटखोरों पर कैसे लगेगा लगाम? स्टेट फूड टेस्टिंग लैब की रिपोर्ट नहीं मानी जाती लीगल, जानिए क्या है वजह - फ़ूड टेस्टिंग

झारखंड में अधिकृत रूप से कोई भी फूड एनालिस्ट नहीं है. इस कारण राज्य में दोषी पाए जाने के बाद भी मिलावटखोरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है.

State Food Testing Lab in Jharkhand
State Food Testing Lab in Jharkhand

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Published : May 13, 2023, 9:23 PM IST

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रांची: झारखंड में अधिकृत रूप से कोई भी फूड एनालिस्ट नहीं होने से मिलावटखोरों की मानो चांदी ही चांदी हो गयी है. बिना अधिकृत फूड एनालिस्ट के मिलावटखोरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकती. इस कारण दोषी पाए जाने के बाद भी मिलावटखोर किसी भी कार्रवाई से बच जा रहे हैं. दरअसल, झारखंड में स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता की वजह से मिलावटखोरों पर कानूनी शिकंजा कसना मुश्किल हो गया है. खाद्य पदार्थों में मिलावट पर लगाम लगाने के लिए FSSAI के नियमों के अनुसार सजा दिलाने तक का प्रावधान है. लेकिन, झारखंड में अगर किसी मिलावटी खाद्य पदार्थ की स्टेट फूड लेबोरेट्री में जांच के बाद पुष्टि भी हो जाए, तब भी मिलावटखोरों को कानूनी रूप से दंडित नहीं किया जा सकता है.

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FSSAI के नियम के अनुसार, किसी भी मिलावटखोर को दंडित करने के लिए स्टेट फूड लेबोरेट्री से जांच रिपोर्ट और उस पर स्टेट फूड एनालिस्ट का हस्ताक्षर होना जरूरी होता है. झारखंड में स्टेट फूड लेबोरेट्री में कांटेक्ट पर रखें गए फूड एनालिस्ट का अनुबंध 31 मार्च 2023 से ही समाप्त हो गया है और उसके बाद से ना तो नया अनुबंध के साथ कार्य विस्तार हुआ है और ना ही किसी नए फूड एनालिस्ट की नियुक्ति हुई है. ऐसे में हर दिन फूड सेफ्टी अफसर की ओर से दर्जनों खाद्य पदार्थों का सैंपल स्टेट फूड टेस्टिंग लेबोरेट्री पहुंचता भी है, उसकी जांच में कई बार मिलावट भी मिलता है, लेकिन रिपोर्ट की लीगल वैधता नहीं रहने की वजह से मिलावटखोरों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं हो पाती.

फूड लेबोरेट्री की जांच की कोई मान्यता नहीं: अनुबंध विस्तार होने की आशा में 31 मार्च 2023 के बाद भी नामकुम स्थित स्टेट फूड टेस्टिंग लैब में सेवा दे रहे स्टेट फूड एनालिस्ट चतुर्भुज मीणा कहते हैं कि FSSAI की धारा 45 के अनुसार, राज्य के फूड सेफ्टी कमिश्नर एक फूड एनालिस्ट को अधिसूचित करेंगे. ऐसे में अनुबंध विस्तारित होने की प्रत्याशा में भले ही चतुर्भुज मीणा अपनी सेवा दे रहे हैं, लेकिन अधिकृत रूप से राज्य में कोई भी फूड एनालिस्ट नहीं है. ऐसे में स्टेट फूड लेबोरेट्री में अलग अलग जिलों से कलेक्ट कर के खाद्य पदार्थों को फूड सेफ्टी अफसर, लैब भेजते हैं, उसकी जांच भी होती है, लेकिन उसकी कोई कानूनी मान्यता नहीं है, क्योंकि उस रिपोर्ट पर अधिकृत फूड एनालिस्ट का हस्ताक्षर नहीं होता. चतुर्भुज मीणा कहते हैं कि जैसे ही फूड सेफ्टी कमिश्नर (जो अभी अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य हैं) स्टेट फूड एनालिस्ट का नाम अधिकृत कर देंगे, तब से लैब की रिपोर्ट लीगल रूप से वैध हो जाएगी.

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