रांचीःभारतीय संविधान में केंद्र और राज्यों के अधिकार की विस्तार से व्याख्या की गई है. इसके बाबजूद दोनों के अधिकारों को लेकर समय समय पर सवाल होते रहे हैं. राज्यों द्वारा केंद्र पर भेदभाव करने का आरोप लगाया जाता है. खासकर वैसी परिस्थिति में जब केंद्र और राज्य में अलग अलग राजनीतिक दलों की सरकारें हों.
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वर्तमान समय में झारखंड में महागठबंधन और केंद्र में भाजपा की सरकार है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन केंद्र पर झारखंड के साथ भेदभाव और केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग का आरोप लगाते हैं. ऐसे समय में झारखंड विधानसभा ने अपने 22वीं स्थापना दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय सेमिनार (National Seminar on Center and State Relations) आयोजित की है. विधानसभा सभागार में केंद्र और राज्य संबंध पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में राज्यपाल की भूमिका और गुड गवर्नेंस विषय पर भी चर्चा हुई. नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडीज एंड रिसर्च इन लॉ रांची और पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च नई दिल्ली के सहयोग से झारखंड विधानसभा द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में केंद्र और राज्यों के बीच संबंधों के 10 बिंदुओं पर चर्चा की गई.
केंद्र और राज्य संबंध के इन 10 विषयों पर चर्चा हुई
केंद्र और राज्यों के बीच विधाई शक्तियों का वितरण
भारत में राजकोषीय संघवाद
अखिल भारतीय सेवाएं और केंद्र राज्य संबंध
संघवाद पर न्यायपालिका
भारतीय संघवाद के साथ राज्यपाल की भूमिका और कार्य
संघीय ढांचे में केंद्रीय जांच एजेंसियों की भूमिका
भारत में राजकोषीय और प्रशासनिक संघवाद के साथ-साथ अंतर राज्य परिषदों का कामकाज
स्थानीय स्वशासन और भारतीय संघवाद
केंद्र राज्य संबंध और सुशासन पर इसका प्रभाव
केंद्र राज्य संबंध और कोविड-19 महामारी
भारत में सहकारी संघवाद
नेशनल लॉ युनिवर्सिटी रायपुर के प्रो उदयशंकर ने गवर्नर की भूमिका पर चर्चा करते हुए कहा कि केंद्र-राज्य संबंध को
बैलेंस करने की जरूरत है. राज्यपाल की नियुक्ति में मुख्यमंत्री की भूमिका नहीं होनी चाहिए. गवर्नर की उत्तरदायित्व यह होनी चाहिए कि कितने दिनों में बिल प्रेसिडेंट को भेजेंगे. नेशनल इंटीग्रिटी के लिए राज्यपाल की भूमिका राज्य और संघ के बीच काफी महत्वपूर्ण है. गवर्नर की उत्तरदायित्व फिक्स होनी चाहिए, जिससे संघीय कामकाज में सुगमता आए. गवर्नर की नियुक्ति 5 वर्षों की होने का मांग करते हुए डॉ उदय शंकर ने कहा की उनकी नियुक्ति और उन्हें हटाने के लिए भी नियम बननी चाहिए. विधानसभा को गवर्नर को हटाने के पावर की उठ रही मांग पर डॉ उदय शंकर ने कहा की विधानसभा को गवर्नर को हटाने का पावर नहीं देना चाहिए. हालांकि, गवर्नर को हटाने के लिए विधानसभा से प्रस्ताव को पास करा कर प्रेसिडेंट को भेजने की व्यवस्था हो सकती है.
गुड गवर्नेंस के लिए रिफोर्म्स की आवश्यकता जताते हुए डॉ अनुराग दीप ने कहा की गुड गवर्नेंस को लेकर राज्य इसमें पिछड़ रहे हैं. न्यायालय में बड़ी संख्या में पद खाली हैं. ऐसे में रूल ऑफ लॉ कैसे पालन होगा. एंटी करप्शन पर केंद्र और राज्य दोनों को मिलकर काम करना चाहिए. सीबीआई की भूमिका पर उठ रहे सवाल पर डॉ अनुराग दीप ने कहा कि केंद्र और राज्य के बीच विवाद होता रहा है. मेरा मानना है कि केंद्रीय एजेंसी की निगरानी हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट करें तो विवाद खत्म हो जाएगा. फेडरल सिस्टम में केंद्र और राज्य की भूमिका अलग अलग है और आर्टिकल 356 के दुरुपयोग होते रहे हैं.