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भैया दूज की पौराणिक मान्यता, जानें पर्व का मुहूर्त

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को देश भर में भाईदूज (Bhaiya Dooj )मनाई जाती है. इस साल 6 नवंबर 2021 को यह त्योहार मनाया जाएगा.

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भैया दूज की पौराणिक मान्यता, जानें पर्व का मुहूर्त

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Published : Nov 2, 2021, 2:35 PM IST

Updated : Nov 6, 2021, 2:54 PM IST

रांचीः गौ पूजन के बाद भाई दूज (Bhaiya Dooj )का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन भाई की लंबी उम्र के लिए बहने उन्हें राखी बांधकर उनकी हर मनोकामना को पूरा करने के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं. कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाईदूज मनाई जाती है. जो इस वर्ष 6 नवंबर को पड़ रही है, यानी भाई दूज 2021 (भैया दूज) मनाई जाएगी. इस दिन ही पांच दिवसीय दीपावली महोत्सव का समापन भी होता है.

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पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना के पूजन (yamraj aur yamuna pujan)का विशेष विधान है. रक्षाबंधन की तरह भाई दूज का पर्व भाई-बहन को समर्पित होता है. इस दिन बहनें रक्षाबंधन की ही तरह भाई को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं. इस दिन भाई बहनों से मिलने उनके यहां जाते हैं और तिलक लगवाते हैं. भाई बहनों को उपहार भी देते हैं.

भैया दूज की पौराणिक मान्यता

भैया दूज का शुभ मुहूर्त

पुजारियों के मुताबिक इस साल द्वितीया तिथि 5 नवंबर को रात 11 बजकर 14 मिनट से शुरू हो रही है और 6 नवंबर को शाम 7 बजकर 44 मिनट तक रहेगी. लेकिन मान्यता के मुताबिक हिंदू धर्मावलंबी नई तिथि को उदयातिथि से ही मानते हैं. इसलिए भैया दूज 6 नवंबर को मनाई जाएगी.

पुरोहितों के मुताबिक भाई दूज के दिन भाइयों को तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त शनिवार को दोपहर 01 बजकर 10 मिनट से लेकर 03 बजकर 21 मिनट बजे तक है. बहनें भाइयों को इस शुभ मुहूर्त के बीच में तिलक लगाएं तो अधिक शुभ होगा.

भैया दूज की पौराणिक कथा

पुजारियों के मुताबिक पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि भगवान सूर्य और उनकी पत्नी संध्या की संतान धर्मराज यम और यमुना थे. लेकिन सूर्य के तेज को सहन न कर पाने के कारण उनकी पत्नी संध्या संतानों को छोड़ कर मायके चली गईं और जाते समय अपनी प्रतिकृति छाया को भगवान सूर्य के पास छोड़ दिया.

पुरोहितों के मुताबिक यमराज और यमुना छाया की संतान नहीं थे, इसलिए वे मां के प्यार से वंचित रहते थे. लेकिन भाई बहन में आपस में बहुत प्यार था. यमुना की शादी होने बाद वे भाई यम को बुलाया करती थीं, लेकिन वे नहीं जाते थे. काफी समय बाद धर्मराज यम बहन के लगातार बुलाने पर यम द्वितीया के दिन उनके घर पहुंचे. भाई के घर आने की खुशी में यमुना ने भाई का खूब सत्कार किया. तिलक लगा कर उनकी पूजा की. इसी दिन से हिंदू धर्मावलंबी भैया दूज मनाते हैं.

Last Updated : Nov 6, 2021, 2:54 PM IST

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