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Ranchi News:मुक्ति संस्था ने 33 लावारिस शवों का किया अंतिम संस्कार, रिम्स में महीनों से पड़े थे शव

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Published : Jun 11, 2023, 2:19 PM IST

रांची के जुमार नदी के तट पर 33 शवों का अंतिम संस्कार मुक्ति संस्था के लोगों ने कराया है. इस दौरान संस्था के कई वरिष्ठ सदस्य मौजूद थे. वर्षों से संस्था लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करा रही है.

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Mass Funeral Of Unclaimed Dead Bodies In Ranchi

रांची:राजधानी रांची में रविवार को मुक्ति संस्था के द्वारा 33 लावारिस शवों का सामूहिक रूप से अंतिम संस्कार किया गया. मुक्ति संस्था के लोगों ने राजधानी के जुमार नदी के पास सभी लावारिस शवों का एकसाथ अंतिम संस्कार किया. इन सभी शवों को रिम्स के पोस्टमार्टम हाउस से एकत्रित किया गया था और शव वाहन से जुमार नदी के घाट पर लाया गया था. जहां संस्था के वरिष्ठ सदस्य प्रवीण लोहिया ने सभी लावारिस शवों को मुखाग्नि देकर उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की.

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अब तक संस्था ने 1567 शवों का किया है अंतिम संस्कारः बता दें कि मुक्ति संस्था के द्वारा अब तक 1567 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कराया जा चुका है. मुक्ति संस्थान के वरिष्ठ सदस्य प्रवीण लोहिया ने कहा कि सनातन धर्म के अनुसार जब तक किसी मृत व्यक्ति के शरीर को अग्नि में समर्पित नहीं किया जाता है, तब तक माना जाता है कि मृतक की आत्मा को शांति की प्राप्ति नहीं होती है. इसलिए वर्षों से मुक्ति संस्था के सदस्यों के द्वारा समय-समय पर लावारिश शवों का अंतिम संस्कार कराया जाता है.

संस्था निःस्वार्थ भाव से वर्षों से दे रही है सेवाःमुक्ति संस्था वर्षों से निःस्वार्थ भाव से सेवा दे रही है. संस्था के वरिष्ठ सदस्य प्रवीण लोहिया ने कहा कि लावारिस शवों को समय-समय पर मुक्ति संस्था के लोगों के द्वारा एकत्रित कर उनका अंतिम संस्कार किया जाता है. इसके लिए सभी सदस्य रविवार को विशेष समय निकालकर अपना योगदान देते हैं.

लावारिस शवों का कराते हैं अंतिम संस्कारःबता दें कि मुक्ति संस्था के द्वारा वैसे शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है जिसकी पहचान करने वाला महीनों तक कोई नहीं होता. वैसे शवों को रिम्स के मोर्चरी हाउस में महीनों तक रखा जाता है. फ्रीजर में रहने के बावजूद भी कई शव सड़ जाते हैं, लेकिन यदि एक महीने से ज्यादा समय तक किसी शव की पहचान करने वाला कोई नहीं आता तो फिर मुक्ति संस्थान वाले रिम्स प्रबंधन से बात कर शवों को एकत्रित करते हैं और उसे नदी तट पर पूरे विधि-विधान के साथ अग्नि को समर्पित कर उनका अंतिम संस्कार करते हैं.

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