रांची: राजधानी में हाल के दिनों में मोबाइल के कई बड़े दुकानों में चोरी की वारदातों को अंजाम दिया गया है. रांची के जगन्नाथपुर, डोरंडा और धुर्वा थाना क्षेत्र से ही तीन दुकानों से अगस्त महीने से लेकर अक्टूबर महीने के बीच 70 लाख के मोबाइल गायब किये गए हैं. इस मामले में अभी तक रांची पुलिस की तफ्तीश में कुछ भी हासिल नहीं हो पाया है ना तो एक मोबाइल बरामद हो पाया है और ना ही किसी की गिरफ्तारी हो पाई है. अब जो जानकारी मिल रही है उसके अनुसार 25 अगस्त 2021 को रांची के जगन्नाथपुर थाना क्षेत्र के सेक्टर टू स्थित जिस रिशु टेलीकॉम नामक प्रतिष्ठान से चोरों ने जिन 38 लाख रुपए कीमत के मोबाइल की चोरी की थी, वे सभी मोबाइल बांग्लादेश पहुंच गए हैं.
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जांच में हुआ खुलासा
चोरों ने उस मोबाइल को बांग्लादेश के तस्करों को बेच दिया है. रांची पुलिस की जांच में इस बात का खुलासा हुआ है. रांची पुलिस ने इस वारदात को अंजाम देने वाले गिरोह का पता तो लगा लिया है लेकिन किसी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है. बताया जा रहा है कि पुलिस की टीम जब पश्चिम बंगाल के विभिन्न इलाकों में छापेमारी कर रही थी, तब गिरोह के सदस्य तो पकड़ाए नहीं, मगर पुलिस को यह जानकारी मिली कि चोरी करने के बाद चोरों ने उन सभी मोबाइल को बांग्लादेश में बेच दिया है. पुलिस की एक टीम उन चोरों को दबोचने के लिए पश्चिम बंगाल में ही है.
बदल दिया जाता है आईएमईआई नंबर
पुलिस अफसरों के अनुसार अपराधी मोबाइल चोरी करने के बाद उसका आईएमईआई नंबर और कवर बदल देते हैं. मोबाइल को फॉर्मेट कर उसे फिर से नए डब्बे में पैक कर देते हैं. यह सब होता है पश्चिम बंगाल के फरक्का में. नए पैकिंग के बाद सभी मोबाइल को बांग्लादेश भेज दिया जाता था, जहां के दुकानों में यह मोबाइल खुलेआम बिकते हैं.
पश्चिम बंगाल का गिरोह है सक्रिए
मोबाइल की चोरी करने वालों में साहेबगंज के तीन पहाड़ी गिरोह के अलावा पश्चिम बंगाल का चोर गिरोह भी शामिल है. पुलिस की जांच में यह बात सामने आयी है कि रांची में पश्चिम बंगाल का गिरोह मोबाइल दुकानों को टारगेट कर रहा है. मोबाइल चोरी करने के बाद गिरोह के सदस्य उसे सीधे फरक्का के एजेंटों को देते हैं. एजेंट जैसा मोबाइल रहता है, वैसा ही उसकी कीमत लगाते हैं.
भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर है ठिकाना
पिछले महीने रांची से ही साहिबगंज के तीन पहाड़ी गैंग के कई मेम्बर पकड़े गए थे. उस दौरान भी पुलिस की पूछताछ में गिरफ्तार आरोपियों ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए थे. आरोपियों के अनुसार वे लोग झारखंड के कई शहरों से मोबाइल चोरी कर उसे भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थित फरक्का भेज देते थे. वहां इस गिरोह के कुछ बेहद टेक्निकल सदस्य एक्टिव हैं जो चोरी कर भेजे गए मोबाइल का आईएमईआई और ऊपर का कवर बदलकर उसे बिल्कुल नया रूप दे देते थे. मोबाइल को फॉर्मेट कर उसे फिर से नए डब्बे में पैक कर दिया था. नए पैकिंग के बाद सभी मोबाइल को तस्करी के जरिए बांग्लादेश भेज दिया जाता था. जहां की दुकानों में यह मोबाइल खुलेआम बिकते हैं.
फरक्का में है चोरों का कारखाना
भारत बांग्लादेश के बॉर्डर पर पश्चिम बंगाल में फरक्का स्थित है, जहां पर मोबाइल चोरों का एक छोटा सा कारखाना है. झारखंड के अलग-अलग शहरों से चोरी के मोबाइल एजेंटों के माध्यम से फरक्का पहुंचा था, जिसके बाद कारखाने में उसे नया रूप दिया जाता था.
अब तक एक भी मोबाइल नहीं हुआ रिकवर
पिछले तीन महीनों के दौरान राजधानी से गायब हुए 70 लाख के मोबाइल में से एक की भी रिकवरी नहीं होना यह दर्शाता है कि कि वे सभी मोबाइल अब भारत में नहीं हैं. हर गायब मोबाइल बांग्लादेश में है और उन सबके के आईएमईआई नम्बर बदल चुके है ऐसे में उनकी बरामदगी अब पुलिस के लिए भी आसान तो नहीं है.
क्या कहती है पुलिस
रांची के सिटी एसपी सौरभ के अनुसार यह सही है कि दो मोबाइल दुकानों में हुई बड़ी चोरियों के बारे में पुलिस के पास कोई सफलता हाथ नहीं लगी है. यह भी एक सच्चाई है कि चोरी के मोबाइल को विदेश में बेच दिया जा रहा है. फिलहाल पुलिस मिले इनपुट के आधार पर मामले की तफ्तीश में जुटी हुई है. जब तक इस मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हो जाती है तब तक यह कहना मुश्किल है कि सभी मोबाइल देश के बाहर बेच दिए गए हैं.