रांची:झारखंड में कोरोना सैंपल की जांच पिछले वर्ष मार्च महीने में शुरू हुई थी तब से आज तक राज्य में एक करोड़ 7 लाख 35 हजार 608 संदिग्धों की जांच की चुकी है. लगभग 18 महीने में एक करोड़ से अधिक सैंपल की जांच भले ही संतोषजनक हो पर यह पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ और बिहार की तुलना में कम ही है. सैंपल टेस्ट की इसी धीमी रफ्तार को तेज करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission) के तहत मोबाइल आरटी-पीसीआर से सैंपल जांच के लिए JITM नाम की कंपनी के साथ करार किया गया है.
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5 जिलों में मोबाइल वैन में होगी कोरोना जांच
Idsp (Integrated Disease Surveillance Program) झारखंड के कोविड-19 नोडल अधिकारी प्रवीण कुमार कर्ण ने ईटीवी भारत को 17 जुलाई से शुरू होने वाले मोबाइल आरटी पीसीआर टेस्टिंग लेबोरेटरी के संबंध में कहा कि राज्य में 12 मोबाइल वैन के लिए JITM नामक कंपनी से MoU (Memorandum of Understanding) किया गया है, जिसमें से 5 की शुरुआत आज (17 जुलाई) से होगी. ये पांचों मोबाइल टेस्टिंग लेबोरेटरी पॉजिटिविटी रेट और पॉपुलेशन डेंसिटी के आधार पर रांची, धनबाद, पूर्वी सिंहभूम, हजारीबाग और पलामू में जिला मुख्यालय के 25 किलोमीटर के रेडियस में कोरोना संदिग्धों के सैंपल लेंगी और 24 घंटे के अंदर जांच रिपोर्ट देंगी.
7 और मोबाइल वैन जल्द आएंगी रांची
JITM कंपनी के साथ 12 जिलों के लिए 12 मोबाइल टेस्टिंग लेबोरेटरी के लिए करार हुआ है. डॉक्टर प्रवीण कर्ण की मानें तो जल्द ही बची हुई 07 वैन भी झारखंड आ जाएंगी, जिसे गोड्डा, दुमका, जामताड़ा, सिमडेगा, गुमला, पश्चिमी सिंहभूम और साहिबगंज जिले में सैंपल टेस्ट के लिए भेजा जाएगा.
जांच में तेजी आने की उम्मीद
मोबाइल टेस्टिंग वैन से जांच की रफ्तार में तेजी आने की संभावना जताई जा रही है. वर्तमान में राज्य में कोरोना संदिग्धों के 33 हजार 138 सैंपल जांच के इंतजार में हैं. मोबाइल टेस्टिंग लैब से हर दिन 5 हजार से साढ़े सात हजार सैंपल की जांच का अनुमान है. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि जांच के बाद पेंडिंग रिपोर्ट की संख्या में काफी कमी आएगी. इसके अलावे अभी रिपोर्ट आने में जहां 48 से 60 घंटे लग जाते हैं वहीं मोबाइल टेस्टिंग लैब से 24 घंटे में रिपोर्ट आने से संक्रमित व्यक्ति को आइसोलेट करने और उसकी समय से कांटेक्ट ट्रेसिंग हो सकेगी. बता दें कि सभी मोबाइल वैन को NABL (National Accreditation Board for Testing and Calibration Laboratories) से मान्यता मिली है और ICMR ( Indian Council of Medical Research) ने भी इस तरह की टेस्टिंग की अनुमति दी है.
लोगों को होगा काफी फायदा
जिले के डीसी के सुपरविजन में काम करने वाली इस RTPCR टेस्टिंग वैन से लोगों को काफी फायदा होगा. सरकार इस टेस्ट के लिए जहां 390 रुपए खर्च करेगी वहीं जांच कराने वालों के लिए यह पूरी तरह निःशुल्क रहेगा. रांची जिले में कोरोना के सेकेंड वेव के दौरान टेस्टिंग के नोडल अधिकारी रहे डॉक्टर अखिलेश झा बताते हैं कि मोबाइल कोरोना सैम्पल जांच वैन काफी लाभकारी होगी क्योंकि सैम्पल लेकर अब रिम्स आने की जरूरत नहीं होगी. जिस जिले में ये वैन होगी, उसी जिले में सैंपल की त्वरित जांच होगी. जिससे मरीजों की पहचान और इलाज में काफी मदद मिलेगी. इससे तीसरी लहर के दौरान भी इलाज में काफी सुविधा मिलने की उम्मीद है.