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झारखंड के मनरेगाकर्मी 3 दिन की हड़ताल पर, मांग पूरी होने तक आंदोलन की चेतावनी

कोविड-19 संक्रमण के दौर में प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने के लिए मनरेगा को सबसे सशक्त माध्यम माना जा रहा है. योजनाओं में की गई मनमानी पर कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है. इसके बावजूद झारखंड मनरेगा कर्मचारी संघ ने आंदोलन की राह पकड़ ली है.

झारखंड के मनरेगा कर्मी 3 दिनों के लिए हड़ताल पर
MNREGA workers of Jharkhand went on strike for 3 days

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Published : Jun 29, 2020, 7:40 PM IST

रांची: कोविड-19 संक्रमण के दौर में प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने के लिए मनरेगा को सबसे सशक्त माध्यम माना जा रहा है. लगातार मजदूरों के लिए कार्य दिवस सृजित किए जा रहे हैं, साथ ही योजनाओं में की गई मनमानी पर कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है. इसके बावजूद झारखंड मनरेगा कर्मचारी संघ ने आंदोलन की राह पकड़ ली है.

मनरेगा कर्मचारी संघ के महासचिव का बयान

योजनाओं में गड़बड़ी

मनरेगा कर्मचारी 29 जून से 1 जुलाई तक सांकेतिक हड़ताल पर चले गए हैं. झारखंड मनरेगा कर्मचारी संघ के महासचिव जॉन पीटर बागे ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि झारखंड में करीब छह हजार मनरेगा कर्मचारी हैं, जो अनुबंध पर पिछले कई सालों से सेवा दे रहे हैं, लेकिन अब तक उनकी सेवा नियमितीकरण को लेकर सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है. उनका आरोप है कि पिछले दिनों चतरा की कुछ योजनाओं में गड़बड़ी का हवाला देकर कई कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया था. इसी तरह की कार्रवाई गिरिडीह के गामा प्रखंड में भी हुई है.

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मनरेगा कर्मियों को निशाना

रांची में भी कार्रवाई के लिए कई लोगों को चिन्हित किया गया है. मनरेगा कर्मचारी संघ के महासचिव ने कहा कि अगर इसमें कोई अनियमितता हुई तो कार्रवाई जरूर की जाए, लेकिन पहले उसकी जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि19 जून को मनरेगा आयुक्त के साथ प्रतिनिधिमंडल की वार्ता भी हुई थी, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला था. जॉन पीटर बागे ने कहा कि अगर मनरेगा कर्मियों को निशाना बनाया गया तो आंदोलन और तल्ख होगा.

साजिश के तहत पुरानी योजनाओं में घोलमेल

बता दें कि झारखंड में मनरेगा की योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए 6 पद सृजित किए गए थे. अनुबंध पर रोजगार सेवक, कंप्यूटर ऑपरेटर, कनिए अभियंता, सहायक अभियंता और बीपीओ की जिम्मेदारी होती है कि वह योजनाओं का लाभ मजदूरों तक पहुंचाए. इसके लिए कर्मचारियों को साढ़े सात हजार से साढ़े नौ हजार रु प्रति महीने दिए जाते हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण के दौर में एक साजिश के तहत पुरानी योजनाओं में घोलमेल का हवाला देकर मनरेगा कर्मियों पर कार्रवाई की जा रही है.

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