रांचीःबजट सत्र के पांचवें दिन भोजनावकाश की घड़ी आते-आते भाजपा विधायक समझ गए कि अब वेल में नारेबाजी से काम नहीं चलेगा. इसको लेकर सीपी सिंह ने मोर्चा संभाला और विधानसभा अध्यक्ष से गतिरोध को दूर करने का आग्रह किया. इस पर झामुमो के वरिष्ठ नेता स्टीफन मरांडी ने भी अपनी सहमति जताई. लिहाजा स्पीकर ने पहल की और कार्य मंत्रणा की बैठक के बाद सदन आर्डर में आ गया. बजट पर वाद-विवाद के दौरान सबसे पहले बोलने का मौका मिला स्टीफन मरांडी को. उन्होंने बजट की जमकर तारीफ की और सलाह दी कि क्रय शक्ति बढ़ाने की दिशा में अगर काम होगा तो राज्य कंजूमिंग स्टेट बनेगा और इससे जीएसटी बढ़ेगी.
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सरकार बताए बजट में केंद्र का कितना हिस्सा शामिल
दोपहर 3:25 बजे बोलने की बारी आई मुख्य विपक्षी दल के मुख्य सचेतक बिरंची नारायण की. उन्होंने सरकार पर कई सवाल खड़े किए. मसलन, 1 साल तक सरकार बार-बार बोलती रही की विरासत में खाली खजाना मिला है, केंद्र सरकार कोई मदद नहीं करती. लेकिन सरकार यह क्यों नहीं कहती कि 9277 करोड़ के बजट में केंद्र सरकार कितने पैसे दे रही है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को केंद्र सरकार अलग-अलग मद में करीब 54511 करोड़ रुपये दे रही है. उन्होंने सरकार से पूछा कि क्या कोरोना काल में बालू और पत्थर का अवैध कारोबार रुक गया था. कैसे बिहार, उत्तर प्रदेश और प. बंगाल में अवैध तरीके से भेजा जाता रहा. उन्होंने इस मामले को उठाने के लिए झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम और सीता सोरेन को धन्यवाद दिया और सरकार से पूछा कि कौन हैं पंकज मिश्रा. उन्होंने पूछा कि 488 गाड़ियां पकड़ी गईं थीं, क्या हुआ उन गाड़ियों का. हालांकि इस मसले पर स्टीफन और लोबिन बचाव की मुद्रा में आए लेकिन बिरंची नारायण ने मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना बंद किए जाने और किसानों की ऋण माफी का वादा अभी तक अधूरा रहने का मामला जोर-शोर से उठाया. बिरंची नारायण ने स्वास्थ्य और शिक्षा के मसले पर भी सरकार को घेरा.