नई दिल्ली:शालीमार बाग इलाके में एक कंपनी के कर्मचारी ने 15 साल तक ईमानदारी से काम करने के बाद मालिक का विश्वास तोड़ दिया. वह कंपनी के 49 लाख रुपए लेकर फरार हो गया. 2 साल से फरार चल रहे इस कर्मचारी को मध्य जिला पुलिस ने सूरत से गिरफ्तार कर लिया है. उसे अदालत ने भगोड़ा घोषित कर रखा था, जबकि दिल्ली पुलिस कमिश्नर की तरफ से उसकी गिरफ्तारी पर 50 हजार रुपए का इनाम घोषित था.
15 साल से नौकरी कर रहा था राजीव
डीसीपी संजय भाटिया के अनुसार, 11 सितंबर 2018 को शालीमार बाग निवासी देवी दयाल मित्तल ने पुलिस को शिकायत की थी. उन्होंने बताया था कि वह एक कंपनी चलाते हैं, जिसका दफ्तर पश्चिमी शालीमार बाग में है. उनका दूसरा दफ्तर चावड़ी बाजार में है. राजीव लोचन मिश्रा उनके पास 15 साल से नौकरी कर रहा था. वह कंपनी के रुपयों को इधर-उधर ले जाने का काम भी करता था. 11 सितंबर 2018 की दोपहर वह पासपोर्ट ऑफिस गए थे. उनके भाई सत प्रकाश मित्तल ने नौकर को 11 लाख रुपये दिए और उसे पीरागढ़ी पर एक पार्टी को देने के लिए कहा. इसके बाद वह मॉडल टाउन स्थित अपने घर खाना खाने चला गया.
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49 लाख रुपये लेकर हो गया था फरार
पीरागढ़ी पर मौजूद पार्टी ने सत प्रकाश को बताया कि राजीव पैसे देने के लिए नहीं आया. यह सुनकर उसने राजीव को फोन मिलाया, जो स्विच ऑफ था. वह तुरंत शालीमार बाग स्थित ऑफिस पहुंचा, जहां रखे 38 लाख रुपये भी गायब थे. उसने पुलिस को दी गई शिकायत में बताया कि 49 लाख रुपये लेकर वह फरार हो गया है. इस बाबत शालीमार बाग थाने में मामला दर्ज किया गया था. पुलिस द्वारा उसकी काफी तलाश की गई, लेकिन वह नहीं मिला. 7 फरवरी 2019 को उसे अदालत ने भगोड़ा घोषित कर दिया था. वहीं, 4 अक्टूबर 2019 को पुलिस कमिश्नर की तरफ से उस पर 50 हजार रुपए का इनाम भी घोषित किया गया था.
सूरत से गिरफ्तार हुआ आरोपी कर्मचारी
इस मामले की जांच उत्तर पश्चिम जिला के स्पेशल स्टाफ द्वारा की जा रही थी. हाल ही में मध्य जिला स्पेशल स्टाफ में तैनात सिपाही अमित को सूचना मिली कि फरार चल रहा राजीव लोचन मिश्रा सूरत में छिपा हुआ है. इस जानकारी पर इंस्पेक्टर ललित कुमार की देखरेख में एक पुलिस टीम सूरत पहुंची. वहां औद्योगिक क्षेत्र की फैक्ट्रियों में उसकी तलाश की गई और पुलिस आखिरकार उसे पकड़ने में कामयाब रही. राजीव लोचन मिश्रा पीपोदरा औद्योगिक क्षेत्र की एक फैक्ट्री में नौकरी कर रहा था. पुलिस से बचने के लिए वह इस जगह छिपा हुआ था.
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आरोपी ने किया वारदात का खुलासा
राजीव ने पुलिस को बताया कि वारदात के बाद वह फरार होकर नोएडा गया था. वह पकड़ा नहीं जाना चाहता था. इसलिए उसने वरुण पाठक को 11 लाख रुपये मदद के लिए दिए थे. इसके बाद वह झारखंड के देवघर गया. यहां से लौटकर उसने 38 लाख रुपये अपने भाई दिवाकर मिश्रा को दिए और बिहार के सहरसा में रहने लगा. वह मोबाइल फोन इस्तेमाल नहीं करता था. कुछ समय बाद वह भागकर सूरत चला गया था. उसने पुलिस को बताया कि वह 16 हजार रुपये महीने के वेतन पर काम करता था. ऐसे में जब उसे मोटी रकम दी गई तो लालच में आकर वह रकम लेकर फरार हो गया.