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झारखंड में है भविष्य की ऊर्जा लिथियम का भंडार! GSI को कोडरमा में मिले हैं शुरुआती संकेत, तमाड़ में है सोने की खदान

Lithium-Gold reserves in Jharkhand. झारखंड में भविष्य की ऊर्जा, लिथियम का भंडार है. GSI को कोडरमा में शुरुआती संकेत मिले हैं. वहीं तमाड़ में सोने की खदान होने की भी बात सामने आ रही है.

Lithium-Gold reserves in Jharkhand
Lithium-Gold reserves in Jharkhand

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 18, 2023, 7:15 PM IST

रांची: अगर सबकुछ ठीक रहा तो झारखंड 'भविष्य की ऊर्जा' का एक बड़ा केंद्र साबित होगा. ज्योलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के मुताबिक कोडरमा में लिथियम के भंडार के शुरूआती संकेत मिले हैं. जीएसआई के महानिदेशक जनार्दन प्रसाद के मुताबिक 2050 तक देश में बैट्री पर निर्भरता बढ़ने वाली है. इसके लिए लिथियम सबसे जरुरी तत्व है. इसलिए लिथियम की खोज पर फोकस किया जा रहा है.

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जम्मू में लिथियम के भंडार का पता चल चुका है. राजस्थान के भिलवाड़ा और आंध्र प्रदेश के नेल्लोर में भी लिथियम भंडार की संभावना है. खोज के साथ-साथ जीएसआई की प्राथमिकता इस बात पर है कि रिसर्च लेबल से कैसे आगे बढ़ा जाए. जीएसआई के महानिदेशक जनार्दन प्रसाद का कहना है कि लिथियम के एक्सट्रेक्शन की तकनीक चीन के पास है. इसपर उसकी मोनोपोली है. लिहाजा, जीएसआई धनबाद के सिंफर समेत कई अन्य संस्थानों के साथ एमओयू करने जा रहा है ताकि एक्स्ट्रेक्शन पर काम शुरु हो सके.

झारखंड के लिए दूसरी एक और अच्छी बात यह है कि जीएसआई को तमाड़ में दो जगहों पर सोने की खदान का पता चला है. पूर्व में भी झारखंड में सोने की दो खदानों का पता चल चुका है. उनका ऑक्शन भी हो गया है लेकिन किसी कारणवश अबतक निकासी का काम शुरु नहीं हो पाया है. जीएसआई के महानिदेशक जनार्दन प्रसाद का कहना है कि मिनरल मिलने से सबसे ज्यादा फायदा राज्य सरकार को राजस्व के रूप में होगा. संबंधित इलाकों में रोजगार का सृजन होगा.

हालांकि, उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि डालटनगंज में ग्रेफाइट के भंडार के आंकलन के लिए ड्रिलिंग का काम प्रभावित हो गया. इस काम में स्थानीय लोग अड़चन पैदा कर रहे हैं. लिहाजा, सरकार और प्रशासन से सहयोग की अपेक्षा है. महानिदेशक जनार्दन प्रसाद से पूछा गया कि आखिर स्थानीय लोग क्यों बाधा डाल रहे हैं. जवाब में उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को लगता है कि अगर उनकी जमीन पर किसी खनिज का भंडार मिलेगा तो उनको विस्थापित होना पड़ेगा. लेकिन उन्हें यह समझना होगा कि इससे उनका विकास होगा. उन्हें रोजगार मिलेगा.

आपको बता दें कि जीएसआई का गठन 1851 में हुआ था. ऐसा पहली बार है जब बिहार-झारखंड से जनार्दन प्रसाद के रुप में कोई जीएसआई का महानिदेशक बना है. वह मूलरुप से औरंगाबाद के रहने वाले हैं. उन्होंने तीन साल तक जीएसआई के रांची सेंटर में उपमहानिदेशक के रुप में सेवा दी है. उनके रांची आगमन पर ज्योलॉजिकल सोसाइटी ऑफ झारखंड ने सम्मानित किया.

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