रांची: बुधवार को राजधानी में झारखंड उच्च न्यायालय के नए भवन का उद्घाटन किया गया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ भी मौजूद रहे. इस कार्यक्रम में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आज भी झारखंड में कई ऐसे न्यायालय हैं, जहां पर मूलभूत सुविधाओं और महिलाओं के लिए शौचालय की व्यवस्था नहीं हो पाई है. उन्होंने कहा कि आदिवासियों की जमीन के दस्तावेज की समस्या आज भी देखी जा रही है.
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रांची सिविल कोर्ट की हकीकत को ईटीवी भारत के टीम ने करीब से जानने की कोशिश की. इस दौरान देखा कि सिविल कोर्ट की स्थिति कुछ हद तक ठीक है. लेकिन अभी भी कई ऐसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है, जिसकी कमी से यहां के वकीलों को जूझना पड़ता है.
कोर्ट के विकास के लिए निर्गत फंड की नहीं हो पाती जानकारी- बार काउंसिलः रांची बार काउंसिल के वरिष्ठ सदस्य और मीडिया प्रभारी संजय विद्रोही ने कहा कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने जो कहा है कमोबेश यही स्थिति झारखंड के सुदूर एवं ग्रामीण क्षेत्रों के न्यायालयों की है. उन्होंने बताया कि पूर्व में भी बार काउंसिल ऑफ झारखंड के द्वारा राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर इसकी जानकारी दी गई थी ताकि कोर्ट में आने वाले वकीलों एवं क्लाइंट को राहत मिल सके. संजय विद्रोही ने कहा कि कोर्ट के विकास के लिए फंड रिलीज किए जाते हैं लेकिन वह फंड कहां चला जाता है इसकी जानकारी तक नहीं हो पाती है जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है.
सिविल कोर्ट में सुविधाओं में सुधार की आवश्यकता: सिविल कोर्ट में कार्यरत महिला वकील शोशण नाग बताती हैं कि झारखंड के अन्य व्यवहार न्यायालय की तुलना में रांची की स्थिति हद तक सही है. लेकिन अभी भी कई समस्याएं बरकरार है, जिसके समाधान को लेकर विचार करने की आवश्यकता है. वरिष्ठ अधिवक्ता संजय तिवारी बताते हैं आज भी झारखंड में कई ऐसे सुविधाएं हैं जो नहीं है जैसे पार्किंग, वकीलों व क्लाइंटों के बैठने की व्यवस्था, साफ सफाई की इंतजाम समेत कई ऐसी सुविधा हैं जो अब तक वकीलों को और उनके मुवक्किलों को नहीं मिल पाती है.
सिविल कोर्ट में शौचालय के साफ-सफाई की घोर कमी: वहीं रांची सिविल कोर्ट परिसर में बने शौचालय का उपयोग करने के बाद महिलाओं ने कहा कि शौचालय की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है, शौचालय में गंदगी पकड़ा हुआ है. ऐसे में लोगों को शौचालय का उपयोग करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कुछ महिलाओं ने कहा कि शौचालय की स्थिति तो खराब है लेकिन बने बाथरूम की स्थिति थोड़ी सही जरूर है. बाथरूम का उपयोग करने वाले लोगों ने कहा कि सुविधाएं मुहैया करा दी गई है लेकिन साफ सफाई के इंतजाम पर ध्यान देने की आवश्यकता है.
नये भवन की लिफ्ट रहती है खराबः रांची सिविल कोर्ट में कार्यरत वकीलों ने बताया कि परिसर में नया भवन बनाया गया है, जिसमें आए दिन लिफ्ट की समस्या देखने को मिलती है. जिस वजह से वकीलों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इसकी शिकायत भी बार काउंसिल और प्रबंधन को की जाती है लेकिन उसका समाधान पूर्ण स्तर पर नहीं हो पाता है.
ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट के माध्यम से रांची के सिविल कोर्ट की एक तस्वीर पेश की गयी. झारखंड हाई कोर्ट के नए भवन के उद्घाटन समारोह के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने जो कहा वह कहीं ना कहीं नजर भी रहा है. झारखंड की राजधानी में रांची सिविल कोर्ट की जब ऐसी हालत है तो सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि ग्रामीण एवं सुदूर क्षेत्रों में अदालतों न्यायालयों में क्या स्थिति होगी.