रांची:झारखंड में सामान्य से कम हुई मानसूनी वर्षा की वजह से 28 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि में से करीब 13 लाख 44 हजार (48%) जमीन परती रह गयी है. राज्य में धान सहित सभी खरीफ फसलों को मिलाकर सिर्फ 52% ही आच्छादन अभी तक हो सका है. कृषि निदेशालय इन आंकड़ों को पिछले वर्ष की तुलना में थोड़ा बेहतर तो मानता है, लेकिन स्थिति अच्छी नहीं है यह भी निदेशालय के अधिकारी स्वीकार रहे हैं.
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जून और जुलाई के मुकाबले अगस्त में हुई अच्छी बारिशःइस संबंध में झारखंड के कृषि निदेशालय में उप निदेशक मुकेश कुमार सिन्हा ने बताया कि झारखंड में जून महीने में सामान्य से 43% कम वर्षा हुई थी. जुलाई महीने में सामान्य से 48% कम वर्षा हुई, लेकिन अगस्त महीने में मानसूनी वर्षापात सामान्य से 09% कम रहा है. जून और जुलाई की अपेक्षा अगस्त में बारिश की थोड़ी अच्छी स्थिति की वजह से खरीफ फसल के आच्छादन की स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ है. कृषि उपनिदेशक मुकेश कुमार सिन्हा के अनुसार राज्य में पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष हालात थोड़ा बेहतर जरूर हैं. क्योंकि पिछले वर्ष जहां इस समय तक धान का आच्छादन 39% था, वहीं इस वर्ष यह 49% है. इसी तरह सभी खरीफ फसलों को मिलाकर इस वर्ष 52% आच्छादन हुआ है, जबकि पिछले वर्ष यह आंकड़ा 46% के करीब था.
जल्द होगी राज्य में कृषि की स्थिति को लेकर बैठकः राज्य में 24 में से चार जिले में सामान्य मानसूनी वर्षा रिकॉर्ड की गई है. चतरा जिले में सामान्य से काफी कम वर्षा हुई है. जहां सामान्य से 62% कम वर्षा हुई है. बाकी के 19 जिलों में 21% से लेकर 54% तक कम वर्षा हुई है. जिसका असर धान और अन्य खरीफ फसलों के आच्छादन पर पड़ा है.
कई मानकों पर खड़ा उतरने पर कोई क्षेत्र होता है सुखाड़ घोषितः किसी भी क्षेत्र को सुखाड़ घोषित करने के लिए सिर्फ कम वर्षा या आच्छादन का प्रतिशत ही काफी नहीं होता, बल्कि कई कसौटियों पर उस क्षेत्र को खड़ा उतरना होता है. कृषि निदेशालय में उपनिदेशक मुकेश कुमार सिन्हा ने बताया कि फसलों के आच्छादन का प्रतिशत, वर्षापात में कमी के साथ साथ VCI (रिमोट सेंसिंग से सुखाड़ क्षेत्र की स्थिति की रिपोर्ट), MNCFC रिपोर्ट, PASM स्वॉइल मॉइस्चर, सुखाड़ प्रभावित इलाके में ताल-तलैया में पानी की स्थिति जैसे कई बिंदुओं पर आकलन किया जाता है. झारखंड में जिन जिलों या प्रखंडों में सामान्य से काफी कम वर्षा हुई है, वहां की स्थिति को लेकर पहली बैठक 31 अगस्त से पहले होने की संभावना है. क्योंकि 31 अक्टूबर तक रिपोर्ट केंद्र को भेजना होता है.