रांची: झारखंड में एक बार फिर राजभवन और राज्य सरकार के बीच खटास बढने लगी है. इसके पीछे का वजह राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के द्वारा हाल के दिनों में धुआंधार हो रहे क्षेत्र भ्रमण और इस दौरान अधिकारियों को दिए जा रहे निर्देश हैं, जिसने सरकार के अंदर बेचैनी बढ़ा दी है. इसके अलावा राजभवन द्वारा आपत्तियों के साथ डोमिसाइल बिल और ओबीसी आरक्षण संबंधी विधेयक को वापस किया जाना भी खटास बढ़ने का मुख्य कारण माना जा रहा है.
राज्यपाल की कार्यशैली पर सियासी बवाल, झामुमो के आरोप पर बचाव में उतरी बीजेपी - Jharkhand news
झारखंड में राजभवन और राज्य सरकार के बीच खटास बढ़ती जा रही है. सत्तारूढ़ दल झामुमो ने जहां राज्यपाल की भूमिका पर सवाल उठाया है. वहीं, बीजेपी राज्यपाल के बचाव में उतर आई है.
डोमिसाइल बिल और ओबीसी आरक्षण संबंधी विधेयक झामुमो की चुनावी घोषणा पत्र में था और विधानसभा से पारित होने के बाद आम जनमानस में इसको लेकर काफी चर्चा हो रही थी. शायद यही वजह है कि झामुमो ने राज्यपाल की भूमिका पर सवाल खड़ा कर रही है. झामुमो केंद्रीय महासचिव सुप्रीयो भट्टाचार्य ने झारखंड के अलावा बंगाल का उदाहरण देते हुए कहा है कि वहां तो राजभवन में कंट्रोल रूम तक खोलने की बात की गई है. ऐसे में जिस उद्देश्य के साथ राज्यपाल को भेजा गया है उन उदेश्यों को पूरा करने के लिए वे तन मन धन से सहयोग करने के लिए ये तत्पर दिख रहे हैं.
इधर, राज्यपाल की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल को खारिज करते हुए बीजेपी ने कहा है कि जो सरकार खुद संवैधानिक मर्यादाओं को तार-तार करने का काम कर रही है, वह क्या सवाल करेगी. भाजपा मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक ने झामुमो के आरोप की आलोचना करते हुए कहा है कि राज्यपाल को पूरे राज्य में भ्रमण के साथ साथ योजनाओं की जमीनी हकीकत को जानने का अधिकार है. राज्य सरकार के द्वारा बड़े-बड़े होर्डिंग-पोस्टर लगाकर सबकुछ ठीक होने का दावा किया जाता है, मगर राज्यपाल के समक्ष जमीनी हकीकत कुछ और निकलती है, तो इनके अंदर करवाहट होने लगती है. ऐसे में संवैधानिक मूल्यों का रक्षा राज्यपाल के द्वारा कैसे नहीं होगा.
राजभवन और सरकार के बीच टकराव की स्थिति उस समय अधिक होती है जब केंद्र और राज्य में अलग-अलग पार्टियों की सरकारें होती हैं. इसका प्रत्यक्ष उदाहरण पंजाब, केरल, बिहार की तरह झारखंड भी रहा है. वर्तमान राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से पहले झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस के कार्यकाल में खतियानी विधेयक सहित विभिन्न विधेयकों के लौटाए जाने और चुनाव आयोग के लिफाफा प्रकरण से उपजा विवाद सार्वजनिक हो गया था. खुद मुख्यमंत्री ने राजभवन की भूमिका पर गंभीर टिप्पणी कर संवैधानिक मूल्यों के हनन का आरोप लगाए थे. बहरहाल रमेश बैस के बाद 18 फरवरी 2023 को झारखंड के 11वें राज्यपाल के रूप में बने सीपी राधाकृष्णन की कार्यशैली पर सियासत जारी है. बीजेपी बचाव में है तो झामुमो सहित सत्तारूढ़ दल खामियां निकालने में जुटी हैं.