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11 नवंबर को अब धर्म सम्मान अधिकार और पहचान दिवस के रूप में मनाएगी राज्य की जनताः झामुमो

झारखंड मुक्ति मोर्चा नेता सुप्रियो भट्टाचार्य (JMM Leader Supriyo Bhattacharya) का कहना है कि 11 नवंबर को अब धर्म, सम्मान, अधिकार और पहचान दिवस के रूप में मनाया जाएगा (Dharma Respect Rights and Identity Day). उन्होंने कहा कि 1928 में मोरंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा ने पहचान की जो लड़ाई शुरू की थी, उसी दिशा में सीएम हेमंत सोरेन आगे बढ़ रहे हैं.

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Published : Nov 11, 2022, 6:33 PM IST

JMM leader supriyo bhattacharya
झारखंड मुक्ति मोर्चा नेता सुप्रियो भट्टाचार्य

रांचीःझारखंड मुक्ति मोर्चा नेता सुप्रियो भट्टाचार्य (JMM Leader Supriyo Bhattacharya) ने कहा कि 11 नवंबर राज्य के लिए ऐतिहासिक दिन है. उन्होंने कहा कि इस दिन ही 2021 को अलग सरना धर्म कोड की मांग को विधानसभा से पारित कर केंद्र को भेजा गया था और अब फिर 11 नवंबर 2022 को राज्य की साढ़े तीन करोड़ लोगों की उम्मीदों के अनुसार 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति और ओबीसी को 27% आरक्षण को लागू करने के लिए प्रस्ताव पास किया गया है. उन्होंने कहा कि 11 नवंबर को अब राज्य की जनता हर साल धर्म, सम्मान अधिकार और पहचान दिवस के रूप में मनाएगी ( Dharma Respect Rights and Identity Day).

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जेएमएम लीडर सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि 1928 में मोरंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा ने पहचान की पहली लड़ाई शुरू की थी, जिसे आज दिशोम गुरु शिबू सोरेन के पुत्र हेमन्त सोरेन पूरा कर रहे हैं. सरकार जब जनता के हित में काम कर रही है तो आजसू और भाजपा के पेट मे दर्द हो रहा है. जेएमएम लीडर ने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार के काम भाजपा आजसू के लिए जमालगोटा का काम कर रहे हैं.

सुप्रियो भट्टाचार्य


जेएमएम लीडर सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि आजसू भाजपा झारखंड की राजनीति से सर्वदा के लिए बाहर हो गए हैं. आजसू और भाजपा की सरकारों में आदिवासी और मूलवासी कहीं नहीं रहे. जब आज एक आदिवासी के बेटे ने राज्य के आदिवासियों मूलवासियों और ओबीसी को उनका अधिकार देने की शुरुआत की तो भाजपा आजसू की सामंतवादी सोच वाले लोगों को परेशानी हो रही है. भाजपा और आजसू के धरतीपुत्रों को आजसू और भाजपा को छोड़कर UPA में शामिल हो जाना चाहिए.

केंद्र जल्द से जल्द विधानसभा से पारित प्रस्ताव को नौवीं अनुसूची में शामिल करेःझामुमो केंद्रीय सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य ने केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा एवं अन्य नेताओं से अपील की कि वह सरना धर्म कोड, भाषा को संवैधानिक दर्जा देने और ओबीसी आरक्षण, 1932 आधारित स्थानीय नीति को नौवीं अनुसूची में शामिल करने में सहयोग करें.

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