जेएमएम की जिलावार समीक्षा बैठक रांची: झारखंड के राजनीतिक दलों ने भी लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है. जेएमएम, कांग्रेस, राजद, बीजेपी, आजसू समेत सभी पार्टियां अपने-अपने स्तर पर लगातार बैठकें, समीक्षाएं और कार्यक्रम आयोजित कर रही हैं. इस बीच, झारखंड मुक्ति मोर्चा भी जिलेवार पार्टी की ताकत और कमजोरियों, सदस्यता अभियान की स्थिति, सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को जरूरतमंदों तक पहुंचाने में झामुमो कार्यकर्ताओं की भागीदारी और लोकसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा कर रही है.
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हरमू स्थित झारखंड मुक्ति मोर्चा के कैंप कार्यालय में केंद्रीय महासचिव स्तर के नेता जिला कमेटी के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं. अब तक पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला खरसावां, धनबाद, रामगढ़, धनबाद, पलामू, चतरा, गढ़वा, गुमला, लोहरदगा जिले की जिला समितियों के साथ समीक्षा बैठकें हो चुकी हैं. 30 सितंबर को गोड्डा और साहिबगंज जिले की जिला कमेटियों के साथ समीक्षा बैठक की जायेगी.
झामुमो केंद्रीय कार्यालय में जिला कमेटी के साथ बैठक करने वाले प्रमुख नेता विनोद पांडे ने कहा कि इन समीक्षा बैठकों में जिला कमेटी के अध्यक्ष, सचिव, प्रभारी और जिला कमेटी के सदस्य संबंधित जिलों में पार्टी की जमीनी हकीकत, कमियों और कमजोरियों की समीक्षा करेंगे. आकलन के साथ ही सदस्यता अभियान की स्थिति की भी जानकारी ली जा रही है. उन्होंने कहा कि पार्टी यह भी जानने का प्रयास कर रही है कि कौन सा जिला सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को जनता तक पहुंचाने में कितना सक्रिय है.
कार्यकर्ता लोकसभा चुनाव में झामुमो का चाहते हैं उम्मीदवार:झामुमो के केंद्रीय महासचिव और हेमंत सोरेन के बेहद करीबी विनोद पांडे ने स्वीकार किया कि कई जिला समितियां अपने जिले के लोकसभा क्षेत्र से झामुमो उम्मीदवार चाहती हैं. उन्होंने सबकी बात सुनी है और पार्टी अध्यक्ष शिबू सोरेन और कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन को इसकी जानकारी दे दी है. सीट बंटवारे पर अंतिम फैसला महागठबंधन के शीर्ष नेताओं को लेना है और यह सभी को स्वीकार्य होगा.
झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय प्रवक्ता प्रोफेसर अशोक कुमार सिंह ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा की जिलावार बैठकों से सहयोगी दलों को निराश होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि झारखंड मुक्ति मोर्चा महागठबंधन धर्म का पालन करना अच्छी तरह से जानता है. चुनाव के समय झारखंड मुक्ति मोर्चा की ताकत से सभी सहयोगी दलों को फायदा होगा.