रांची: झारखंड के सभी विश्वविद्यालय के रिटायर्ड शिक्षकों और अधिकारियों को सातवें वेतनमान के आधार पर पेंशन का भुगतान किया जाएगा. सरकार के इस फैसले का लाभ विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को नहीं मिलेगा. सरकार के इस फैसले से नाराज कर्मचारियों ने आंदोलन शुरू कर दिया है. आंदोलनरत कर्मचारियों ने सरकार से इस पर ध्यान देने की मांग की है.
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दरअसल झारखंड सरकार के एक निर्णय के तहत अब राज्य के सभी विश्वविद्यालय के रिटायर्ड शिक्षकों और अधिकारियों को सातवें वेतनमान के आधार पर पेंशन का भुगतान किया जाएगा. उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग (Department of Higher and Technical Education Jharkhand) ने मंत्रिमंडल की स्वीकृति के बाद इसे लेकर संकल्प भी जारी कर दिया गया है. अब इसका गजट प्रकाशन होगा. जारी संकल्प के तहत कहा गया है कि 1 जनवरी 2016 के पहले रिटायर हुए शिक्षकों और पदाधिकारियों को सातवें वेतनमान के अंतर्गत सातवां पुनरीक्षित वेतनमान में पेंशन, पारिवारिक पेंशन का लाभ 1 अप्रैल 2021 के प्रभाव से मान्य होगा. पेंशन का भुगतान दो सत्र के आधार पर किया जाएगा. संबंधित कर्मी की सेवानिवृत्त मृत्यु की तिथि को उनके वेतनमान ग्रेड पे में प्राप्त वेतन के तहत निर्धारित वेतन का 50 फीसदी के रूप में पेंशन और 30 फीसदी के रूप में परिवारिक पेंशन का लाभ दिया जाएगा.
सरकार पर भेदभाव का आरोप: झारखंड सरकार के ऐसे निर्णय को विश्वविद्यालय के तमाम कर्मचारी एक तरफा निर्णय बता रहे हैं. कर्मचारियों की माने तो शिक्षक और अधिकारियों को राज्य सरकार तमाम लाभ दे रहे हैं. लेकिन कर्मचारियों को एसीपी-एमसीपी के लाभ के आलावा सातवें वेतनमान के तहत कोई लाभ नहीं मिल रहा है. कर्मचारियों की ओर से इसे लेकर लगातार आंदोलन किया जा रहा है. इसके बावजूद झारखंड सरकार का ध्यान इस ओर नहीं है. कर्मचारियों ने राज्य सरकार और विश्वविद्यालय प्रबंधन पर भेदभाव व्यवहार करने का आरोप लगाया है.