रांची:झारखंड जनजातीय परामर्शदातृ परिषद् उप समिति की पहली बैठक में इस बात पर जोर शोर से चर्चा हुई कि अखिर जनजातीय समाज को शिक्षा ऋण, गृह ऋण, कृषि ऋण समेत अन्य ऋण लेने में कठिनाइयों का सामना क्यों करना पड़ता है. प्रोजेक्ट भवन में समिति के अध्यक्ष स्टीफन मरांडी की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह माना गया कि छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम-1908 और संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम-1949 के प्रावधान के अनुसार अनुसूचित जनजातियों की जमीन की खरीद-बिक्री पर रोक होने के कारण बैंकों से ऋण लेने में दिक्कत होती है.
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चर्चा के दौरान यह बात सामने आई कि झारखंड के निकटवर्ती आदिवासी बहुल राज्यों में सुलभतापूर्वक ऋण मिल रहा है. लिहाजा उप समिति ने छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्यप्रदेश और राजस्थान का भ्रमण कर इस गंभीर सवाल का जवाब तलाशने का निर्णय लिया है. इस संबंध में समिति द्वारा विभागीय सचिव और आदिवासी कल्याण आयुक्त से अनुरोध किया गया कि उन राज्यों से समन्वय स्थापित कर इस संबंध में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर ली जाय.