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मुख्यमंत्री मेधा छात्रवृत्ति योजना के प्रति उदासीन हैं झारखंड के विद्यार्थी, जानिए वजह

झारखंड में बच्चों को पढ़ाई के लिए आर्थिक सहायता मुहैया कराने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री मेधा छात्रवृत्ति योजना की शुरुआत की गई थी. लेकिन इसके आवेदन में बच्चे दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. जितने आवेदन की उम्मीद थी, उतने विभाग को नहीं प्राप्त हुए हैं. इसके कई कारण बताए जा रहे हैं.

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Published : Aug 5, 2023, 8:26 PM IST

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रांची:झारखंड में मुख्यमंत्री मेधा छात्रवृत्ति की शुरुआत की गई है. मुख्यमंत्री हेमंत सरकार ने इसके जरिए वैसे छात्र जो आर्थिक तंगी की वजह से पढाई छोड़ देते हैं, उन्हें स्कॉलरशिप देने की कोशिश की है. इस योजना के तहत 9वीं से 12वीं तक के चयनित बच्चों को साल में 12,000 रुपये मिलेंगे. मगर विडंबना यह है कि शिक्षा विभाग के द्वारा शुरू की गई इस स्कॉलरशिप प्रोग्राम का लाभ लेने में झारखंड के बच्चे उदासीन हैं.

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मुख्यमंत्री मेधा छात्रवृत्ति योजना के तहत स्कॉलरशिप पाने के लिए झारखंड एकेडमिक काउंसिल चयन परीक्षा आयोजित करती है. शिक्षा विभाग ने इस साल के चयन परीक्षा में राज्यभर के सरकारी स्कूलों के एक लाख बच्चों को शामिल कराने के लिए रजिस्ट्रेशन का लक्ष्य रखा था. मगर जैक के द्वारा तीन-तीन बार आवेदन भरने की तारीख बढ़ाए जाने के बावजूद भी लक्ष्य के अनुरूप रजिस्ट्रेशन नहीं हो सका.

जागरूकता की कमी बनी बड़ी वजह-शिक्षा सचिव:जैक के द्वारा स्कॉलरशिप परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे. जिसे भरने की अंतिम तिथि शुरुआत में 20 जून रखी गई थी. बाद में इसे 30 जून कर दिया गया और उसके बाद 15 जुलाई तक आवेदन की तारीख बढ़ाई गई. इसके बावजूद ऑनलाइन आवेदन भरने में झारखंड के विद्यार्थियों ने उदासीनता दिखाई. जिस वजह से लक्ष्य के अनुरूप आवेदन नहीं जमा हो सके. इससे जैक में रजिस्ट्रेशन के अनुसार स्कॉलरशिप परीक्षा के लिए करीब 60,000 विद्यार्थियों का रजिस्ट्रेशन ही प्राप्त हुआ है. शिक्षा सचिव के रवि कुमार भी मानते हैं कि स्कॉलरशिप प्रोग्राम के लिए छात्रों की उदासीनता के पीछे बड़ी वजह जागरूकता की कमी है. जिस वजह से तीन बार आवेदन की तारीख बढ़ाने के बावजूद 60,000 विद्यार्थियों का रजिस्ट्रेशन ही हुआ है.

आवेदन की जटिल प्रक्रिया भी बनी वजह:मुख्यमंत्री मेधा छात्रवृत्ति योजना के तहत स्कॉलरशिप परीक्षा के लिए जैक द्वारा मांगे गए ऑनलाइन आवेदन में जटिलता की वजह से विद्यार्थी आवेदन करने में पीछे रह गए. परीक्षा में शामिल होने के लिए आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, शैक्षणिक योग्यता, बैंक खाता डिटेल, पासपोर्ट साइज फोटो, जाति प्रमाण पत्र और मोबाइल नंबर का होना आवश्यक माना गया था. इन सभी दस्तावेजों को ऑनलाइन अपलोड करने के लिए कहा गया था.

जगरनाथपुर सरकारी स्कूल के प्राचार्य राजेश रंजन कहते हैं कि स्कॉलरशिप परीक्षा में कम रजिस्ट्रेशन के लिए विद्यार्थियों की उदासीनता के बजाय जटिल प्रक्रिया को कारण माना जायेगा. जिस वजह से विद्यार्थी आवेदन नहीं कर सके. आधार कार्ड और मूल नाम या जन्मतिथि में किसी भी तरह का अंतर होने से आवेदन पूरा नहीं हो सकता. इसी तरह शिक्षक ओमप्रकाश सिन्हा कहते हैं कि जागरूकता की कमी के साथ-साथ डाक्यूमेंट्स को लेकर काफी परेशानी छात्रों को उठानी पड़ी है. जिसके कारण इच्छा रहते हुए भी विद्यार्थी फॉर्म नहीं भर सके. पहले आम तौर पर ऑफलाइन लोग फॉर्म भरते थे. मगर इस बार ऑनलाइन होने की वजह से लोग इसे समझ नहीं पा रहे हैं.

18 अगस्त को होनी है स्कॉलरशिप परीक्षा: मुख्यमंत्री मेधा छात्रवृत्ति योजना के तहत मिलने वाले स्कॉलरशिप के लिए जैक के द्वारा 18 अगस्त को चयन परीक्षा आयोजित करने की तैयारी की गई है. जिसके तहत पूरे राज्य भर में 5000 विद्यार्थियों का चयन किया जाएगा. सभी जिलों के विद्यार्थियों को इस योजना का लाभ मिले, इस उद्देश्य से शिक्षा विभाग ने प्रत्येक जिले से चार चार सौ विद्यार्थियों को चयनित करने का प्रावधान किया है. स्कॉलरशिप के लिए एक परीक्षा आयोजित की जाएगी, जो 90-90 मिनट की होगी और इसमें 2 खंड में प्रश्न पूछे जाएंगे. खंड 1 में 90 प्रश्न होंगे जिसमें रिजनिंग इंग्लिश और प्रोफिशिएंसी से संबंधित प्रश्न होंगे. वहीं खंड-2 में एप्टिट्यूड टेस्ट होगा. इस परीक्षा में बच्चों को 60% अंक लाना अनिवार्य किया गया है. हालांकि एससी एसटी छात्रों को सरकार ने राहत देते हुए 40% अंक लाना अनिवार्य किया है.

किन्हें मिलेगा मुख्यमंत्री मेधा छात्रवृत्ति: मुख्यमंत्री मेधा छात्रवृति योजना हेमंत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है, जिसके तहत जो भी बच्चे नौवीं कक्षा में पढ़ रहे हैं और आठवीं में जिनके 60% से अधिक अंक हैं. वे इस स्कॉलरशिप के लिए आयोजित होने वाले चयन परीक्षा में शामिल हो सकते हैं. विद्यार्थी किसी भी स्कूल या सीबीएसई, आईसीएसई या जैक बोर्ड के हो सकते हैं. कक्षा 9वीं से ग्यारहवीं तक आयोजित होने वाली प्रत्येक वार्षिक परीक्षा में इन्हें 60% अंक प्राप्त करना होगा. इस योजना के तहत सरकारी स्कूल के आवासीय विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को छात्रवृत्ति की 50% की राशि मिलेगी.

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