रांचीः प्रदेश की महागठबंधन सरकार में हिस्सेदार कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. एक तरफ जहां पार्टी के विधायक राज्य में संगठन के नेतृत्व पर सवाल खड़े कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ सरकार में उनकी सुनी न जाने की बातें सामने आ रही हैं. पार्टी के कुछ विधायकों ने पिछले दिनों दिल्ली में हाई कमान से भी इस संबंध में बात की पर समस्याओं का समाधान नहीं हुआ. झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सह प्रभारी उमंग सिंघार असंतुष्ट विधायकों की शिकायत कम कराने झारखंड आए पर उन्हें नियम कानून का हवाला देते हुए 'चलता कर' दिया गया. इससे राजनीतिक गलियारे में चर्चाओं का बाजार गर्म है.
नए विधायकों की यह है शिकायत
दरअसल 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को कुल 16 सीट मिली थीं, उनमें से एक सीट पार्टी विधायक राजेंद्र सिंह की मौत के बाद खाली हो गई. बाकी के 15 विधायकों में पहली बार विधानसभा पहुंचे कुछ विधायक और युवा एमएलए कथित तौर पर मौजूदा प्रदेश नेतृत्व से नाराज चल रहे हैं. इनमें से जामताड़ा से विधायक इरफान अंसारी, बरही से विधायक उमाशंकर अकेला और खिजरी विधायक राजेश कच्छप ने दिल्ली जाकर अपनी बातें रखने की कोशिश की थी. उनका कहना था कि विधायकों को संगठन और सरकार में 'प्रॉपर अटेंशन' नहीं मिल रहा है. इस असंतोष का असर यह हुआ कि दिल्ली से 'दूत' के रूप में सह प्रभारी उमंग सिंघार को भेजे गए.
दिल्ली के 'दूत' को रद्द करनी पड़ी यात्रा
सिंघार दिल्ली का दूत बनकर रांची आए पर राज्य सरकार के प्रशासन ने यहां क्वॉरेंटाइन के नियम कानूनों का हवाला देकर उन्हें चलता कर दिया. इसके पीछे प्रदेश संगठन का भी हाथ माना जा रहा है. कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो सिंघार असंतुष्ट विधायकों से मिलकर झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी में असंतोष की जानकारी लेना चाहते थे. जेपीसीसी के मुखिया सिंघार इसे भांप गए और उन्होंने दिल्ली दरबार तक अपनी बात पहुंचा दी. नतीजतन सिंघार नाराज तो हुए पर उन्हें झारखंड से लौटना पड़ा.