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टीपीसी के पास हैं सबसे ज्यादा विदेशी हथियार, लिंक खंगाल रही पुलिस - झारखंड पुलिस के प्रवक्ता

झारखंड नक्सल प्रभावित राज्य(naxal affected state Jharkhand) है. यहां कई नक्सली संगठन हैं जो पुलिस के लिए सिरदर्द बने हुए हैं. उन्हीं में से एक है टीपीसी, जिसका प्रभाव बहुत ही कम जिले में है, लेकिन विदेशी हथियारों के बल पर इस संगठन के लोग पुलिस को काफी चुनौती दे रहे हैं.

links of foreign weapons of TPC
links of foreign weapons of TPC

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Published : Sep 4, 2022, 12:02 PM IST

Updated : Sep 4, 2022, 12:32 PM IST

रांचीः झारखंड के मात्र कुछ ही जिलों में अपना प्रभाव रखने वाला उग्रवादी संगठन टीपीसी(Naxalite organization TPC) विदेशी हथियारों के बल पर पुलिस को चुनौती देने की कोशिश कर रहा है. आपको बता दें कि न सिर्फ झारखंड पुलिस बल्कि एनआईए की रिपोर्ट में भी इस बात का जिक्र है कि सबसे ज्यादा विदेशी हथियार टीपीसी के पास ही है. विदेशी हथियार के बल पर या छोटा सा उग्रवादी संगठन अक्सर पुलिस को चुनौती देते रहता है.

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हथियार ही है ताकतःझारखंड में सक्रिय सबसे बड़ा नक्सली संगठन भाकपा माओवादी हो या छोटे नक्सली संगठन टीपीसी(Naxalite organization TPC), पीएलएफआई या जेजेएमपी, इनकी सबसे बड़ी ताकत हथियार है. हथियार के बल पर ही ये संगठन झारखंड में अपने प्रभाव वाले इलाकों में समानांतर सरकार चलाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन अगर बात करें विदेशी हथियारों की. इस मामले में तृतीय प्रस्तुति कमेटी यानी टीपीसी पहले नंबर पर है. रिपोर्ट के अनुसार अभी भी टीपीसी के पास 50 से अधिक विदेशी हथियार हैं. जबकि अब तक उनके 25 से अधिक विदेशी हथियार पुलिस के द्वारा जब्त भी कर लिए गए हैं. टीपीसी के पास अमेरिकन, जर्मन से लेकर राइफल भी मौजूद हैं.

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कैसे काम कर रहा हथियार तस्करों का नेटवर्कःएनआईए की जांच में यह खुलासा हुआ था कि नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (आईएम) का नेता आखान सांगथम उर्फ निखान सांगथम झारखंड- बिहार में नक्सलियों तक विदेशी हथियार की तस्करी कराता है. म्यांमार से मणिपुर के रास्ते हथियारों की एंट्री होती है. गिरोह के लोग झारखंड बिहार के कई हाईप्रोफाइल लोगों का आर्म्स लाइसेंस भी नागालैंड से फर्जी कागजात के जरिए बनवाते हैं.

जानकारी के मुताबिक, आखान सांगथम अलगाववादी संगठन एनएससीएन आईएम ग्रुप का कप्तान है. दीमापुर में रहने वाले मुकेश और संतोष सिंह आखान सांगथम के लिए काम करते थे. सूरज नाम के युवक को बतौर हैंडलर काम पर रखा गया था. नागालैंड नंबर के ट्रक और एक कार से एके 47, यूजीबीएल राइफल की तस्करी होती थी. नागा लोग म्यांमार बॉर्डर से मणिपुर उखरूल के रास्ते से शक्तिमान गाड़ी से हथियार लाते हैं. नागालैंड से बर्मा जाने और हथियार लाने में तीन से चार दिनों का वक्त लगता है. एक बार में तीन से चार विदेशी हथियार आते हैं. एनआईए की जांच में यह भी खुलासा हुआ था कि सबसे ज्यादा विदेशी हथियार टीपीसी के द्वारा ही खरीदे गए थे. जांच अभी भी जारी है. माना जा रहा है कि जब जांच पूरी होगी तब इसमें और कई राज खुलेंगे.

मात्र 50 लोगों का है संगठन, पर बेशुमार पैसेःकहा जाता है कि राज्य के एक बड़े पुलिस अधिकारी की पहल पर भाकपा माओवादियों से लोहा लेने के लिए टीपीसी का गठन किया गया था. भाकपा माओवादियों से ही भाग कर आए नक्सलियों को संगठन में जोड़ा गया और उन्हें हथियार उपलब्ध करवाया गया था. ताकि वे पुलिस के आगे रहकर नक्सलियों से लोहा ले. हालांकि बाद में यही संगठन पुलिस के लिए ही चुनौती बनती चली गई. आलम यह है कि अब यह संगठन मात्र 50 लोगों का ही रह गया है लेकिन इसके पास बेशुमार दौलत है जिसके बल पर यह कोयला क्षेत्र में राज करने की स्थिति में है.

जांच जारी हैःझारखंड पुलिस के प्रवक्ता सह आईजी अभियान अमोल वी होमकर के अनुसार उग्रवादियों को हथियार सप्लाई करने वाले चेन में शामिल लोगों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है. हथियारों की तस्करी को लेकर झारखंड पुलिस दूसरे राज्यों के संपर्क में भी है. एक विशेष टीम का गठन सिर्फ इसीलिए किया गया है कि वह नक्सलियों के हथियार लिंक को खंगाल सके. हालांकि इस हथियार तस्करी में कौन-कौन लोग शामिल हैं. इसको लेकर झारखंड पुलिस पूरी सतर्कता बरत रही है. पुलिस के अनुसार मामले की जांच जारी है और जल्द ही इसके नतीजे भी निकलेंगे.

Last Updated : Sep 4, 2022, 12:32 PM IST

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