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झारखंड पुलिस एसोसिएशन का आरोप, इंस्पेक्टरों के तबादले में हुई गड़बड़ी

झारखंड पुलिस एसोसिएशन ने पुलिस मुख्यालय पर इंस्पेक्टरों के तबादले में गड़बड़ी का आरोप लगाया है. इसे लेकर एसोसिएशन ने डीजीपी एमवी राव को पत्र लिखा है. कुछ सप्ताह पहले राज्य पुलिस मुख्यालय ने 123 पुलिस इंस्पेक्टरों को अलग अलग जिलों और शाखाओं में तैनात किया था.

Jharkhand Police Association blame on police headquarters in ranchi
इंस्पेक्टरों के तबादले में हुई गड़बड़ी

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Published : Dec 4, 2020, 12:43 AM IST

रांची: झारखंड पुलिस मुख्यालय के ओर से पुलिस इंस्पेक्टरों के तबादले में गड़बड़ी का आरोप लगा है. झारखंड पुलिस के जूनियर अफसरों की प्रतिनिधि संस्था झारखंड पुलिस एसोसिएशन ने इस संबंध में डीजीपी एमवी राव को पत्र लिखा है.



123 का हुआ था तबादला
बीते कुछ सप्ताह पहले राज्य पुलिस मुख्यालय ने 123 पुलिस इंस्पेक्टरों को अलग अलग जिलों और शाखाओं में तैनात किया था. आरोप है कि तबादलों में पुलिस एसोसिएशन की सहमति से बनायी गई ए, बी, सी और डी श्रेणी के जिलों और शाखाओं के नीति का पालन नहीं किया गया है. 20 नवंबर को जारी आदेश में 3 इंस्पेक्टरों को डी श्रेणी से डी श्रेणी में, जबकि 13 को सी श्रेणी से सी श्रेणी के शाखा या जिलों में भेजा गया है. तबादले के पहले 21 अगस्त को भी जो नीति बनी थी, उस नीति का पालन तबादलों में नहीं किया गया.



रिटायरमेंट के दो साल में पैतृक या पसंद के जिलों में पोस्टिंग का ख्याल नहीं
राज्य पुलिस में ऐसे अफसरों का तबादला नहीं किया जाता, जिनकी सेवा अवधि एक साल या उससे कम रह गई है, लेकिन ऐसे अफसरों का भी तबादला कर दिया गया. वहीं दो साल से कम अवधि वाले पुलिस अफसर अपनी इच्छा के मुताबिक, पैतृक जिले में रह सकते हैं, जिन अफसरों का पैतृक जिला झारखंड में नहीं है वह पसंद के जिले में पोस्टिंग ले सकते हैं, लेकिन इस संबंध में आए 87 आवेदनों में महज 40 आवेदनों को ही स्वीकृति दी गई, बाकि आवेदन अस्वीकृत कर दिए गए. ससमय इन आवेदनों पर विचार भी नहीं किया गया. ऐसे में अब कई अफसरों की सेवा महज तीन चार महीने ही बची है.

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विशेष रूप से टारगेट कर किया गया तबादला
पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेंद्र सिंह व महामंत्री अक्षय राम ने डीजीपी को लिखे पत्र में बताया है कि बहुत से इंस्पेक्टर जिलों में कार्यरत हैं, जिन्होंने कभी सीआईडी, विशेष शाखा, एटीएस, निगरानी में कभी काम नहीं किया, लेकिन वे लगातार जिलों में ही तैनात रहते हैं, वहीं कुछ अफसरों को टारगेट कर भेदभाव की नीति अपनाते हुए जिलों से हटा दिया गया. उन्होंने कहा कि कई अफसर जो स्वास्थ्य कारणों से विशेष शाखा या सीआईडी जैसी इकाईयों में ही बने रहना चाहते थे, उन्हें वहां से हटा दिया गया, वहीं कई जिलों के एसपी ने उनके मन मुताबिक, काम नहीं करने वाले इंस्पेक्टरों का तबादला वक्त के पहले करवा दिया. एसोसिएशन ने आरोप लगाया है कि एसपी स्तर के अधिकारियों के निजी राय पर तबादले नियम विरूद्ध हैं.

ये है मांग
एसोसिएशन ने इंस्पेक्टरों ने स्थानांतरण पर पुनर्विचार की मांग की है, साथ ही उनके आवेदनों पर विचार करने की अपील की है. एसोसिएशन की मांग है कि दो साल या उससे कम सेवा वाले अफसरों को एच्छिक या गृह जिले में तैनात किया जाएं, साथ ही भविष्य के तबादलों में नियमों का पालन हो.

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