रांची:गुजरात की धरती पर झारखंड के खिलाड़ियों की अग्नि परीक्षा होनी है. 29 सितंबर की शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 36वें नेशनल गेम्स (36th National Games) का उद्घाटन किया है. अलग-अलग इवेंट में भाग लेने के लिए झारखंड के 265 खिलाड़ियों और पदाधिकारियों का दल गुजरात पहुंच चुका है. लेकिन आयोजन से पहले ही खेल और खिलाड़ियों की उपेक्षा को लेकर कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई है. सवाल उठाया जा रहा है कि महंगाई के दौर में नेशनल गेम के लिए चयनित खिलाड़ियों को सिर्फ 5-5 हजार रुपए का किट क्यों दिया गया. इतने कम पैसे के किट की गुणवत्ता का अंदाजा लगाया जा सकता है.
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सरकार के इस रूख की तुलना विधानसभा की ओर से कराए जाने वाले फ्रेंडली टेनिस बॉल क्रिकेट मैच से की जा रही है. विधानसभा की ओर से साल 2021 में आयोजित दो मैच के लिए किट खरीदने के एवज में 33 लाख रुपए का बिल बना था. यही नहीं दो दिन के 3-3 घंटे के इवेंट पर कुल 42 लाख का बिल बना था. इस बेरूखी के लिए खेल मंत्री हफीजुल हसन से प्रतिक्रिया लेने की कई बार कोशिश की गई लेकिन उनके पीए ने कहा कि साहब व्यस्त हैं.
इस बात को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं कि जब पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद अपने हाथों से खिलाड़ियों को किट देकर उनकी हौसला अफजाई करते हुए विदा कर सकते हैं तो फिर यहां की सरकार को ऐसा करने में कौन सी दिक्कत आन पड़ी. ऐसा इसलिए क्योंकि खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बार-बार कह चुके हैं कि उनकी सरकार खेल को लेकर बेहद गंभीर है.
इन सबके बीच भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा है कि सोचिए, राज्य के 220 खिलाड़ी ओपनिंग सेरेमनी में प्रधानमंत्री जी के सामने बिना ब्लेजर और जूते के मार्च पास्ट करेंगे तो राज्य की कैसी छवि बनेगी. उन्होंने लिखा है कि खिलाड़ियों को (Jharkhand players in 36th National Games) किट के लिए मात्र 5 हजार रुपए ही दिए गये हैं. जबकि बिहार, ओड़िशा महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने अपने खिलाड़ियों को 15-20 हजार रुपए दिए हैं. झारखंड सरकार के उदासीन रवैये ने एक बार फिर राज्य को शर्मसार किया है.