रांची: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिर्फ चार जातियों गरीब, युवा, महिला और किसान की बात कर देश में जाति आधारित नयी स्थिति की शुरुआत की है. भारतीय जनता पार्टी के साथ जहां कई लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान के समर्थन में हैं और इसे ऐतिहासिक बता रहे हैं. वहीं कांग्रेस, जेएमएम, राष्ट्रीय जनता दल के नेताओं के साथ-साथ आदिवासी नेता सूर्य सिंह बेसरा ने भी तर्क देते हुए पीएम के बयान को हास्यास्पद बताया है और इसे आदिवासी, दलित और पिछड़े समाज के साथ धोखा बताया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 10000वें जन औषधि केंद्र के ऑनलाइन उद्घाटन के बाद पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा था कि देश में सिर्फ चार जातियां हैं. उन्होंने कहा था कि किसान, युवा, महिलाएं और गरीब ही जाति हैं. उनके विकास के बिना राज्य या देश का विकास नहीं हो सकता.
पिछड़ों को धोखा देने की तैयारी में पीएमःकांग्रेस के प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा ने कहा कि जब से राहुल गांधी ने जाति जनगणना और संख्या के आधार पर भागीदारी की मांग उठाई है, तब से बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हताश और निराश हो गये हैं. राकेश सिन्हा ने कहा कि जिस तरह से बिहार में महागठबंधन सरकार ने जातीय जनगणना कराकर आबादी के हिसाब से ओबीसी की हिस्सेदारी सुनिश्चित की है. जिस तरह से राहुल गांधी हर मंच से ओबीसी का मुद्दा उठा रहे हैं, उससे बीजेपी और पीएम मोदी अंदर तक हिल गए हैं. इसीलिए कभी कहते हैं कि जातियां नहीं होतीं और कभी वे केवल महिलाओं, युवाओं, किसानों और गरीबों को जाति बताने लगते हैं.
पीएम को अपना सरनेम हटा लेना चाहिए:राष्ट्रीय जनता दल की प्रदेश उपाध्यक्ष अनिता यादव ने कहा कि अगर पीएम नरेंद्र मोदी सोचते हैं कि कोई जाति नहीं होती या सिर्फ महिलाएं, गरीब, युवा और किसान ही जातियां हैं तो पीएम को अपना सरनेम हटा लेना चाहिए. अनिता यादव ने कहा कि बिहार में जातीय जनगणना के बाद बीजेपी और उसके नेता हताश हो गए हैं, इसलिए इस तरह के बयान दे रहे हैं.