रांची: भारत निर्वाचन आयोग द्वारा शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव की घोषणा कर देने और गुजरात विधानसभा चुनाव की घोषणा नहीं किये जाने को राजनीतिक दलों ने भाजपा को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से लिया गया फैसला करार दिया है (Allegations against Election Commission of India). झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय समिति सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के वर्तमान विधानसभा का टर्म गुजरात विधानसभा के टर्म से पहले समाप्त हो रहा है. बावजूद इसके हिमाचल प्रदेश में चुनाव की घोषणा कर देना और गुजरात का नहीं करना आश्चर्यजनक है.
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ECI को कहा इलेक्शन चॉइस ऑफ इंडीविजुअल:झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि दरअसलस, गुजरात में मोदी जी को कुछ घोषणा करना बाकी है इसलिए निर्वाचन आयोग ने गुजरात में चुनाव की घोषणा कुछ दिनों के लिए टाल दी है. झामुमो का सीधा आरोप है कि संवैधानिक संस्था इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया अब इलेक्शन चॉइस ऑफ इंडीविजुअल (ECI as Election Choice of Individual) हो गया है.
इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया अब इलेक्शन चॉइस ऑफ इंडीविजुअल हो गया है: झामुमो - रांची न्यूज
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भारत निर्वाचन आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं (Allegations against Election Commission of India). झामुमो नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया अब इलेक्शन चॉइस ऑफ इंडीविजुअल हो गया है. ECI पर भाजपा को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से काम करने का आरोप लगाया गया है.
क्षेत्रीय दलों को किया जा रहा तबाह: सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि अपनी सत्ता को बचाये रखने के लिए क्षेत्रीय दलों को तबाह और बर्बाद किया जा रहा है क्योंकि भाजपा नहीं चाहती कि क्षेत्रीय दल मजबूत हो. रामविलास पासवान की पार्टी का क्या हाल कर दिया, महाराष्ट्र में शिव सेना का क्या हाल कर दिया. झारखंड जैसे छोटे राज्य हिमाचल के बराबर का है. यहां आठ राउंड में निर्वाचन होता है और हिमाचल में एक बार में, ऐसा भारतीय जनता पार्टी को लाभ पहुंचाने के लिए किया जाता है.
भारत निर्वाचन आयोग पर गंभीर आरोप: सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि 'हमने भी कई शिकायत निर्वाचन आयोग से किया तो संज्ञान नहीं लिया जाता है, कोई जानकारी मांगने पर कहा जाता है कि यह गोपनीयता का मामला है और भाजपा के लिए आत्मीयता हो जाती है. ऐसें में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को स्वतः संज्ञान लेना चाहिए ताकि भारत का संविधान और देश की संवैधानिक मूल्यों की रक्षा हो सके.'