रांचीः राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव केके सोन सोमवार को मीडिया से मुखातिब हुए. उन्होंने कहा कि झारखंड लैंड म्यूटेशन बिल 2020 से संबंधित कुछ भ्रांतियां देखी जा रही हैं, उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा कि सरकार किसी भी रूप में गलत नीयत से कार्य करने वाले किसी भी राजस्व पदाधिकारियों को संरक्षण देने का कार्य नहीं कर रही है. इस बिल में गलत नीयत से कार्य करने वाले राजस्व पर अधिकारियों के विरुद्ध राज्य सरकार या भारत सरकार के समक्ष प्राधिकार की ओर से अगर पूर्व में अंवेषण की स्वीकृति प्रदान की जाती है तो वैसी परिस्थिति में राजस्व अधिकारियों के विरूद्ध आपराधिक, सिविल, विभागीय या अन्य माध्यम से किसी भी प्रकार की कार्रवाई कभी भी करने के लिए राज्य सरकार स्वतंत्र है.
जानकारी देते विभागीय सचिव
अधिकारियों को जवाबदेय बनाने का प्रयास
राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव केके सोन ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक की धारा 22 में राजस्व पदाधिकारियों को संरक्षण सुरक्षा का प्रावधान किया गया है. इस धारा की उप धारा(i) में शासकीय कार्यों के लिए संरक्षण सुधार प्रदान किया गया है. इस धारा की उप धारा(ii) में उप धारा(ई) में दिए गए संरक्षण सुरक्षा के रहते हुए भी राज्य सरकार या भारत सरकार के समक्ष प्राधिकार की ओर से अगर पूर्व में अंवेषण की स्वीकृति प्रदान की जाती है तो ऐसी परिस्थिति में राजस्व पदाधिकारियों के विरुद्ध कोई भी कार्रवाई कभी भी करने के लिए राज्य सरकार स्वतंत्र है. इससे यह भी स्पष्ट है कि सरकार प्रस्तावित विधायक से गलत कार्य करने वाले राजस्व पदाधिकारियों को बचाने का कोई प्रयास नहीं कर रही है बल्कि राजस्व पदाधिकारियों को उनके दायित्व के रूप से निर्धारित करते हुए अधिक जवाबदेय बनाने का प्रयास कर रही है.
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सचिव केके सोन ने कहा कि झारखंड राज्य में लैंड म्यूटेशन का कार्य 1973 के कानून के अनुरूप होते आ रहा है, जिसमें ऑनलाइन दाखिल खारिज का कोई वर्जन नहीं है. इन सभी चीजों में सुधार लाने के लिए राज्य सरकार ने झारखंड लैंड में ट्यूशन भी प्रस्तावित किया है. इस विधेयक में ऑनलाइन दाखिल खारिज लगान भुगतान की व्यवस्था स्पष्ट किया गया है. प्रस्तावित विधेयक में जमाबंदी निरस्तीकरण व्यवस्था को स्पष्ट किया जा सके. उन्होंने कहा कि पुराने विधेयक में कई प्रस्ताव बहुत ही संक्षिप्त और स्पष्ट है जिसे ध्यान में रखते हुए प्रस्तावित विधेयक में इसे विस्तृत रूप से स्पष्ट किया गया है. इसके साथ साथ प्रस्तावित विधेयक में राजस्व निरीक्षक, अंचल निरीक्षक, अंचल अधिकारी, भूमि सुधार उप समाहर्ता, उपायुक्त एवं प्रमंडलीय उपायुक्त के लिए समय सीमा का निर्धारण किया गया है. निर्धारित समय सीमा से अधिक समय के बाद वाद को निष्पादन करने वाले मामले में विलंब के लिए कारणों को स्पष्ट रूप से पारित किए जाने वाले आदेश में उल्लेखित करने एवं बिना कारण के विलंब होने पर संबंधित पदाधिकारियों को उत्तरदायित्व बनाने का प्रधान प्रस्तावित विधेयक में किया गया है.