रांची: छठी जेपीएससी परीक्षा में कम अंक लाने वाले को प्रशासनिक सेवा और अधिक अंक प्राप्त करने वाले को कोऑपरेटिव सेवा दिए जाने के मामले पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. जस्टिस राजेश शंकर की अदालत नें चयनित अभ्यर्थी की नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है, लेकिन याचिका को स्वीकृत करते हुए राज्य सरकार और जेपीएससी से जवाब मांगा है.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई सुनवाई
झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश राजेश शंकर की अदालत में याचिकाकर्ता मनीषा तिर्की की ओर से दायर याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई हुई. न्यायाधीश अपने आवासीय कार्यालय से सुनवाई की. वहीं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और जेपीएससी के अधिवक्ता संजय पिपरवाल अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा. अदालत में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगाने का आग्रह किया गया. जिस पर अदालत ने रोक लगाने से इनकार कर दिया. याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि प्रार्थी ने 630 अंक प्राप्त किया है फिर भी उसे प्रशासनिक सेवा नहीं मिला, जबकि उससे कम अंक लाने वाले को प्रशासनिक सेवा आवंटित किया गया है. उन्हें कोऑपरेटिव सेवा दिया गया है. यह उचित नहीं है. अदालत ने याचिकाकर्ता की दलील को सुनने के उपरांत राज्य सरकार और जेपीएससी को जवाब पेश करने का आदेश दिया है.
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बता दें कि मनीषा तिर्की छठी जेपीएससी परीक्षा में अभ्यार्थी थी उन्होंने अपना आवेदन एसटी कोटा में दिया था. वह 630 अंक प्राप्त किए हैं. इसके बावजूद भी उन्हें सामान्य कोटा दिखाते हुए कोऑपरेटिव सेवा दिया गया. जबकि इन से कम अंक प्राप्त करने वाले को एसटी कोटा दिखाकर प्रशासनिक सेवा दी गई. जेपीएससी के इस फैसले को प्रार्थी ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है. उसी याचिका पर सुनवाई के उपरांत अदालत ने राज्य सरकार और जेपीएससी से जवाब मांगा है.