रांचीः साल 2020 में जब कोरोना का पहला वेव आया था, तो बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (Border Road Organization) के लिए लेह-लद्दाख में सड़क-ब्रिज का काम करने गए प्रवासी मजदूरों को हवाई जहाज से झारखंड वापस लाया गया था. हेमंत सरकार के इस पहल की चौतरफा सराहना हुई थी. वापस लौटे मजदूरों ने बताया था कि किस तरह शोषण और प्रताड़ित किया जाता था. झारखंड के मजदूरों का शोषण नहीं हो. इसको ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) की पहल पर BRO और दुमका जिला प्रशासन के साथ कुछ बिंदुओं पर म्युचुअल सहमति बनी थी, जिसका मकसद था कि मजदूरों को केजुअल पेड लेबर और सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिलें. लेकिन, BRO अपने स्टैंड से मुकर चुका है. धड़ल्ले से मेठ के जरिए मजदूरों को ले जाया जा रहा है. इसकी जानकारी दुमका जिला प्रशासन को भी नहीं दी जा रही है.
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जून 2020 को इन बिंदुओं पर बनी थी सहमति
- BRO एक संस्थान की तरह राज्य सरकार में रजिस्ट्रेशन कराकर प्रवासी मजदूरों का चयन करेगा. इस चयन में ठेकेदार या मेठ की कोई भूमिका नहीं रहेगी
- राज्य सरकार के साथ BRO एक एमओयू करेगा
- झारखंड के मजदूरों के चयन के दौरान इंटर स्टेट माइग्रेंट वर्कमेन-1979 के नियमों का पालन करना होगा, ताकि मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिल सके
- 13 जून 2020 को 11,815 मजदूरों को काम पर ले जाने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और बीआरओ के उपमहानिदेशक की मौजूदगी में दुमका जिला प्रशासन और बीआरओ के साथ चयन की शर्तों पर हस्ताक्षर हुआ था