रांची: शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के असमय निधन से सभी मर्माहत हैं. ऐसा लग रहा है कि कोई अपना चला गया. यह करिश्मा उनकी व्यक्तित्व की वजह से था. कम शब्दों में बड़ी बातें कहने में उनको महारत हासिल थी. शिक्षा के हिमायती थे. गाहे-बगाहे सरकारी स्कूल में औचक निरीक्षण के लिए चले जाते थे. बच्चों से बातें करते थे. रास्ते में स्कूल जा रहे बच्चों को देखकर गाड़ी रोक दिया करते थे. सबको एक ही बात कहते थे कि पढ़ाई जरूरी है. बिना पढ़ाई के इंसान की कोई कद्र नहीं है. इसी सोच के साथ उन्होंने निजी स्कूलों को टक्कर देने के लिए मॉडल स्कूल के कॉन्सेप्ट को अमली जामा पहनाना शुरू किया था. शिक्षकों के रिक्त पदों को जल्द से जल्द भरने की बातें करते थे.
चूभ गई थी मैट्रिक पास शिक्षा मंत्री वाली बात:2019 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन के स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद जब मंत्रिमंडल का विस्तार हो रहा था, तब जगरनाथ महतो को शिक्षा मंत्री के साथ-साथ उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग का मंत्री बनाया गया था. हालांकि वह सिर्फ मैट्रिक पास थे. उन्होंने 1995 में तेलो स्थित नेहरू उच्च विद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा पास की थी. तब उनके शिक्षा को लेकर सवाल खड़े हुए थे. कहा गया था कि एक मैट्रिक पास शख्स खुद शिक्षा की बात कैसे करेगा. यह बात जगरनाथ महतो के दिल पर लगी थी. तब उन्होंने कहा था कि लोग ताने मारते हैं. इसका जवाब शिक्षा हासिल कर ही दिया जा सकता है. इसी मकसद से उन्होंने आलोचनाओं के बीच बोकारो के नावाडीह स्थित देवी महतो इंटर कॉलेज के 11वीं में अगस्त 2020 में दाखिला लिया था.
मैट्रिक पास करने के 25 साल बाद उन्होंने इंटर में दाखिला लेकर पास करके दिखाने का वादा किया था. देवी महतो इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल दिनेश प्रसाद ने ईटीवी भारत को बताया कि एडमिशन के बाद उन्होंने परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन कराना था. लेकिन नियती को यह मंजूर नहीं था. उसी साल कोरोना वायरस ने उन्हें अपनी जद में ले लिया. तब से लंग्स ट्रांसप्लांट के बाद भी वह सर्वसुलभ रहे. लेकिन वक्त के साथ उनकी सेहत बिगड़ती रही. वह जिंदगी से जंग लड़ते रहे. लेकिन 6 मार्च की सुबह जिंदगी की जंग हार गये. प्रिंसिपल ने बताया कि टाइगर दा ने देवी महतो इंटर कॉलेज के निर्माण के वक्त डोनेशन भी दिया था.