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EXCLUSIVE: ग्रेहाउंड के तर्ज पर नक्सलियों से लोहा लेने को तैयार कोबरा जवान, चल रही है कठिन ट्रेनिंग

नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई में अपना लोहा मनवा चुकी तेलंगाना की ग्रेहाउंड कमांडो की टेक्निक का इस्तेमाल अब झारखंड में भी नक्सलियों के खिलाफ किया जा रहा है. इसके लिए झारखंड पुलिस के तेजतर्रार अफसरों की एक टीम ने ग्रेहाउंड कमांडो की तर्ज पर ट्रेनिंग ले रही है. देखें स्पेशल स्टोरी.

Jharkhand cobra jawan ready to take on Naxalites on the lines of Greyhound
पुलिस ट्रेनिंग

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Published : Mar 12, 2020, 5:55 PM IST

रांची: नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई में अपना लोहा मनवा चुकी तेलंगाना की ग्रेहाउंड कमांडो की टेक्निक का इस्तेमाल अब झारखंड में भी नक्सलियों के खिलाफ किया जा रहा है. ग्रेहाउंड कमांडोज नक्सलियों के खिलाफ अभियान में पूरी तरह से दक्ष मानी जाती है. झारखंड पुलिस के तेजतर्रार अफसरों की एक टीम ने ग्रेहाउंड कमांडो की तर्ज पर ट्रेनिंग लेकर झारखंड में नक्सलियों के खिलाफ लोहा ले रहे कोबरा के जवानों को ट्रेंड करना शुरू कर दिया है. कोबरा कमांडो की कई टीमें ट्रेंड होकर नक्सलियों के खिलाफ मैदान में भी उतर चुकी हैं.

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बेहतर है फोर्स, इसलिए सीख रहे हैं हम भी उनसेझारखंड पुलिस के आईजी अभियान साकेत कुमार सिंह के अनुसार अगर किसी भी फोर्स के पास नक्सलियों के खिलाफ लड़ने की विशेष तकनीक है तो उनसे हमें सीखना चाहिए. यही वजह है कि झारखंड के पुलिस अफसर ग्रेहाउंड के तर्ज पर कमांडो ट्रेनिंग लेकर अब अपने साथियों को ट्रेंड कर रहे हैं.

ऐसी अभियान की माने तो वर्तमान में देश में नक्सलियों के खिलाफ सबसे ट्रेंड फोर्स ग्रेहाउण्ड ही है. झारखंड में नक्सलियों के खिलाफ अभियान में झारखंड जगुआर और स्पेशल टास्क फोर्स यानी एसटीएफ लगी हुए हैं. नक्सलियों के छोटे-मोटे दस्तों से निपटने के लिए झारखंड जगुआर की 200 स्मॉल एक्शन टीम जिलों में तैनात है और बखूबी अभियान को अंजाम दे रही है.

ट्रेनिंग
चल रही है कठिन ट्रेनिंगग्रेहाउण्ड से ट्रेनिंग लेकर आए जवान और अफसर कोबरा बटालियन के जवानों को लगातार ट्रेंड कर रहे हैं. उन्हें नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई के लिए गुरिल्ला वार में माहिर किया जा रहा है. खूंटी स्थित कोबरा बटालियन के मुख्यालय और रांची के कोबरा कैंप में लगातार नक्सलियों से जंगलों में निपटने के लिए जवानों की कठिन ट्रेनिंग जारी है. जब झारखंड में नक्सलवाद चरम पर था, उस दौरान भी झारखंड पुलिस की एक टीम ग्रेहाउंड कमांडो की ट्रेनिंग लेने के लिए गई थी. जिसके बाद कोबरा के जवानों को भी ट्रेंड किया गया था. नतीजा यह था कि झारखंड में नक्सलियों के खिलाफ सफलता का ग्राफ लगातार बढ़ता चला गया.
ट्रेनिंग
DGP के आदेश पर गई थी टीमदरअसल, झारखंड में नक्सलवाद को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए पुलिस मुख्यालय ने योजनाबद्ध तरीके से काम करना शुरू कर दिया है. मुख्यालय के निर्देश पर कोबरा बटालियन के पांच अफसर, जवानों को आंध्रप्रदेश भेजा गया था. उन्होंने वहां नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन चला रहे ग्रेहाउंड फोर्स के साथ ट्रेनिंग ली. नक्सलियों के खिलाफ ग्रेहाउंड फोर्स कैसे काम करता है, इसका अध्ययन भी किया.

पुलिस मुख्यालय का मानना है कि ग्रेहाउंड फोर्स के साथ ट्रेनिंग कर वापस लौटने वाले अफसरों और जवानों के अनुभव का लाभ कोबरा बटालियन को मिलेगा. झारखंड पुलिस के आईजी अभियान साकेत कुमार सिंह के अनुसार पिछले बार के ट्रेनिंग के बाद झारखंड में नक्सलियों के खिलाफ सफलता का ग्राफ लगातार बढ़ा है. सफलता के आंकड़े उसकी गवाही देते हैं.

ट्रेनिंग

ग्रेहाउण्ड के तर्ज पर बना था कोबरा
ग्रेहाउंड फोर्स झारखंड के कोबरा बटालियन की तरह ही है. मगर इस फोर्स के जवानों को जंगल, पानी और पहाड़ पर रहने, ऑपरेशन चलाने, नक्सलियों को छूपकर मारने की विशेष ट्रेनिंग दी जाती है. आंध्रप्रदेश में फैले नक्सलवाद को दूर करने में ग्रेहाउंड फोर्स ने अब तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. झारखंड में भी नक्सलवाद से निपटने के लिए कोबरा बटालियन का गठन किया गया था. वर्तमान में कोबरा बटालियन ही नक्सलियों के खिलाफ झारखंड में लोहा ले रही है.

1989 में हुआ था ग्रेहाउंड का गठन
हाउंड का गठन सन 1989 में आंध्रप्रदेश कैडर के आईपीएस अफसर केएस व्यास ने किया था. ग्रेहाउंड के कार्रवाई से बौखलाए नक्सलियों ने 1993 में केएस व्यास की हत्या कर दी थी. लेकिन शहीद होने से पहले आईपीएस ब्यास ने नक्सल मोर्चे पर लड़ने के लिए एक बेहद खतरनाक कमांडो की फौज खड़ी कर दी थी. ग्रेहाउंड कमांडो जमीन, आसमान, पानी और जंगल में भी वार करने में सक्षम है.

ग्रेहाउंड में करीब 2 हजार जवानों को कमांडो का विशेष प्रशिक्षण दिया गया है. इनके पास खुद का हेलिकाॅप्टर और आधुनिक हथियार भी मौजूद है. हर ऑपरेशन के लिए गिनती के कमांडो को ही भेजा जाता है. ग्रेहाउंड के काम करने की जानकारी किसी को भी नहीं होती है. ग्रेहाउंड के बलबूते पर ही कभी नक्सलियों के सबसे सुरक्षित पनाहगाह समझे जाने वाले आंध्रप्रदेश को नक्सल मुक्त करवाने की राह पर ला खड़ा किया.

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