रांची: विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर विभागों और अंगीभूत महाविद्यालयों से स्वीकृत पदों के खिलाफ रिक्त पदों पर नियुक्त शिक्षकों के पैनल की अवधि का विस्तार किया गया है. लगातार इन शिक्षकों को आश्वासन दिया जाता रहा है कि इन्हें स्थायी किया जाएगा, लेकिन एक बार फिर हेमंत सरकार ने भी इनकी सेवा विस्तार का फैसला लिया है. यह फैसला अनुबंधित शिक्षकों को रास नहीं आया. उनका कहना है उनको महज छह माह का सेवा विस्तार दिया जा रहा है, जबकि वे स्थायीकरण की मांग कर रहे हैं.
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बता दें कि मंगलवार को हेमंत कैबिनेट एक प्रस्ताव पारित हुआ है, जिसमें कहा गया है कि ऐसे अनुबंधित शिक्षकों को एक बार फिर सेवा विस्तार किया जाएगा. हालांकि अब इसका विरोध किया जा रहा है. सरकार के इस निर्णय का विरोध झारखंड असिस्टेंट प्रोफेसर अनुबंधन संघ ने किया है.
सिर्फ छह माह सेवा विस्तार का विरोध
झारखंड असिस्टेंट प्रोफेसर संघ के अध्यक्ष निरंजन महतो ने कहा कि कैबिनेट का एक निर्णय आया है कि झारखंड में सभी विश्वविद्यालय के अनुबंधित असिस्टेंट प्रोफेसर्स की सेवा को विस्तार दिया जाएगा. ये अवधि विस्तार मात्र छह महीने का है और इस छह महीने के विस्तार का संघ विरोध करता है. साथ ही राज्य सरकार को बताना चाहता है कि विश्वविद्यालय की जो शैक्षणिक व्यवस्था या फिर एग्जामिनिएशन व्यवस्था हैं, वो अनुबंधित शिक्षकों के हाथों में ही है. उनकी नाराजगी है कि उन्हें नजरअंदाज करके अगर राज्य सरकार शिक्षा हब बनाना चाहती है, तो वो संभव नहीं है. दूसरी ओर अनुबंध पर कार्यरत शिक्षकों ने यह भी कहा कि एक तरफ जहां विश्वविद्यालय और कॉलेजों में हम शिक्षकों से तमाम काम ले रहे हैं. वहीं शिक्षकों को अनदेखी भी की जा रही है. विभागाध्यक्ष से लेकर कॉलेज, विश्वविद्यालय के तमाम शैक्षणिक काम अनुबंधित शिक्षक ही निपटा रहे हैं.