रांचीः भारतीय जनता पार्टी ने हेमंत सरकार पर बदले की भावना से गैरकानूनी काम करवाने का आरोप लगाया है. भाजपा प्रदेश कार्यालय में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए प्रदेश प्रवक्ता सरोज सिंह ने कहा कि तबादला और पदस्थापन राज्य सरकार का अधिकार होता है. लेकिन अपनी कुत्सित मानसिकता को पूरा करने के लिए अधिकारियों पर नियम विरुद्ध और गैर कानूनी कार्रवाई का दबाव बनाना और उसे पूरा नहीं करने पर उनका तबादला करना राजशाही सोच का परिणाम है.
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पार्टी प्रवक्ता सरोज सिंह ने कहा कि मीडिया में आई खबरों के मुताबिक राज्य पुलिस के कतिपय उच्चाधिकारियों को पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास पर केस कर गिरफ्तार किए जाने का निर्देश दिया गया है. चूंकि पुलिस अधिकारियों ने नियम विरुद्ध कार्रवाई करने से इनकार कर दिया. इसलिए उनको उनके पद से हटाया गया है ताकि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी नियम विरुद्ध और गैर कानूनी इच्छा पूरी कर सकें. सरोज सिंह ने कहा कि यह बदले की भावना से वशीभूत होकर अधिकारियों से गलत काम कराने का परिणाम घातक हो सकता है.
बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता सरोज सिंह
रघुवर दास पर बगैर राज्यपाल की सहमति का नहीं हो सकेगी कार्रवाईः भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, जो कि वर्ष 2018 में संशोधित किया जा चुका है. उसकी धारा 17 (क) में स्पष्ट रूप से प्रावधान किया गया है कि कोई पुलिस अधिकारी निम्नलिखित के पूर्वानुमोदन के बिना किसी ऐसे अपराध में कोई जांच या पूछताछ या अन्वेषण नहीं करेगा. सरोज सिंह ने इन प्रावधानों का जिक्र करते हुए कहा कि रघुवर दास के विरुद्ध पूर्व मुख्यमंत्री अथवा पूर्व मंत्री के रूप में लिए गए निर्णय अथवा निर्णयों के मामले में कोई भी जांच या पूछताछ या अन्वेषण के पूर्व राज्यपाल की पूर्व अनुमति लेनी होगी, जो कि नहीं ली गई है.
बीजेपी ने हेमंत सरकार पर निशाना साधा और कहा कि राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने हेमंत सोरेन के तुगलकी आदेश को मानने से इनकार कर दिया तो उनको हटाया जाना ईमानदार पदाधिकारियों का मनोबल तोड़ने के समान है. उन्होंने कहा कि इस प्रावधान के अतिरिक्त राज्य सरकार के द्वारा निर्गत किए गए संकल्प संख्या 1623 दिनांक 7/8/2015 की कंडिका 20, 21 और 22 के प्रावधानों का अक्षरशः पालन किए बगैर और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की उपरोक्त धारा 17 (क) का पालन किए बगैर रघुवर दास के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है.
जहां तक अन्य मामलों, जिसकी चर्चा की जा रही है, इसका संबंध है एक जनप्रतिनिधि अथवा मुख्यमंत्री के रूप में रघुवर दास ने कोई व्यक्तिगत आदेश नहीं दिया है. सारे निर्णय कैबिनेट और राज्य के उच्चाधिकारियों के स्तर पर लिए गए हैं. इसलिए रघुवर दास के विरुद्ध लगाए गए आरोप बालू से तेल निकालने के बराबर है.