रांचीः झारखंड आर्म्ड फोर्स-वन (Jharkhand Armed Force) अपना 143वां स्थापना दिवस मना रहा है. गोरखा जवानों की यह बटालियन अपनी वीरता और अदम्य साहस के लिए जाना जाता है. गुरुवार को रांची के डोरंडा स्थित जैप वन परिसर में बटालियन का 143वां स्थापना दिवस समारोह मनाया गया.
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नक्सलियों के खिलाफ मोर्चा लेना हो या फिर झारखंड के माननीयों की सुरक्षा की जिम्मेवारी. यह कार्य कई दशकों से झारखंड आर्म्ड फोर्स के जवान पूरी जिम्मेदारी के साथ निभा रहे हैं. वीआईपी सुरक्षा को लेकर सबसे विश्वसनीय फोर्स माने जाने वाले झारखंड आर्म्ड फोर्स वन अपना 143वां स्थापना दिवस मनाया गया. जैप ग्राउंड में स्थापना दिवस समारोह बड़े भव्य तरीके से मनाया गया है.
शहीद बेदी पर श्रद्धांजलि देकर स्थापना दिवस कार्यक्रम की शुरुआत की गई. समारोह के मुख्य अतिथि जैप के अपर पुलिस महानिदेशक प्रशांत सिंह ने गोरखा बटालियन के गौरवशाली इतिहास को लेकर कई बातें कहीं. उन्होंने कहा कि जैप वन का इतिहास बहुत ही गौरवशाली है. बटालियन के वीर जवानों ने हमेशा अपनी शहादत देखकर जैप वन का नाम बुलंद किया है. हमें इस बटालियन पर गर्व है. बटालियन के बुलंदी के लिए कई तरह के कार्य योजना तैयार किए गए हैं, जिनपर जल्द ही अमल किया जाएगा. प्रशांत सिंह ने कहा कि अनुशासन और जुनून देखना है तो गोरखा वाहिनी को देखने की जरूरत है.
समारोह के मुख्य अथिति सहित अन्य ने भव्य परेड का निरीक्षण करते हुए सलामी ली. इस दौरान जैप वन ग्राउंड पर जवानों और बैंड पार्टी ने आकर्षक परेड पेश किया. बैड डिस्पले ने सभी को मंत्रमुग्ध कर लिया था. जनवरी 1880 में अंग्रेजों के शासनकाल में इस वाहिनी की स्थापना न्यू रिजर्व फोर्स के नाम से हुई थी. वर्ष 1892 में इस वाहिनी को बंगाल मिलिट्री पुलिस का नाम दिया गया. इस वाहिनी की टुकडियों की प्रतिनियुक्ति तत्कालीन बंगाल प्रांत, बिहार, बंगाल और ओडिशा को मिलाकर की जाती थी. साल 1905 में इस वाहिनी का नाम बदलकर गोरखा मिलिट्री रखा गया.
राज्य में प्रतिनियुक्त गोरखा सिपाहियों को इस वाहिनी में समायोजित किया गया. देश में स्वतंत्रता के बाद वर्ष 1948 में इस वाहिनी का नाम बदलकर प्रथम वाहिनी बिहार सैनिक पुलिस रखा गया था. इस वाहिनी की प्रतिनियुक्ति नियमित रूप से देश के विभिन्न राज्यों में की जाती रही. वर्ष 1902 से 1911 तक देहली दरबार, वर्ष 1915 में बंगाल, 1917 में मयूरभंज, मध्य प्रदेश, 1918 में सरगुजा मध्य प्रदेश, 1935 में पंजाब, 1951 में हैदराबाद, 1953 में जम्मू-काश्मीर, 1956 में असम, 1962 में चकरौता (देहरादून), 1963 में नेफा, 1968-69 में नेफा के प्रशिक्षण केंद्र हाफलौंग असम आदि शामिल हैं.
साल 1971 में भारत पाक युद्ध के समय इस वाहिनी को त्रिपुरा के आंतरिक सुरक्षा कार्यो के लिए प्रतिनियुक्त किया गया था. उस वक्त साहसपूर्ण कार्यों के लिए इस वाहिनी को भारत सरकार ने पूर्वी सितारा पदक से अलंकृत किया था. साल 1982 में दिल्ली में आयोजित नवम एशियाड खेलकूद समारोह के दौरान इस वाहिनी की प्रतिनियुक्ति की गई, जहां बेहतर कार्य के लिए दिल्ली सरकार ने सराहा था. वर्ष 2000 में झारखंड अलग गठन के बाद इस वाहिनी का नाम झारखंड सशस्त्र पुलिस वन (जैप वन) रखा गया.
आंनद मेले का भी आयोजनः जैप स्थापना दिवस के अवसर पर परिसर में ही आनंद मेले का भी आयोजन किया गया है. मेले में 84 स्टॉल लगाए गए हैं. आनंद मेला में प्राइड ऑफ गोरखा स्टॉल लगाया गया है. इसमें गोरखा समाज की उपलब्धि, उनकी संस्कृति को दर्शाया गया है.