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सिविल सर्विस परीक्षा के दिव्यांग श्रेणी में नियुक्ति मामले पर हाई कोर्ट में सुनवाई, स्वास्थ्य विभाग और कार्मिक विभाग से मांगा जवाब

झारखंड हाई कोर्ट में छठी झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा ली गई सिविल सर्विस परीक्षा में दिव्यांग श्रेणी की नियुक्ति में गड़बड़ी आरोप लगाते हुए दायर याचिका पर सुनवाई हुई. इस दौरान अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद स्वास्थ्य विभाग और कार्मिक विभाग को जवाब पेश करने का आदेश दिया है.

appointment in category of divyang in civil services examination
झारखंड हाई कोर्ट

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Published : Oct 6, 2020, 7:15 AM IST

रांचीः राज्य में झारखंड लोक सेवा आयोग के द्वारा ली गई सिविल सर्विस परीक्षा में दिव्यांग श्रेणी के नियुक्ति में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए प्रशांत शांडिल्य ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर सोमवार को सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग और कार्मिक विभाग को जवाब पेश करने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद होगी.

दिव्यांग श्रेणी की नियुक्ति में गड़बड़ी

झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश संजय कुमार द्विवेदी की अदालत में छठी झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा ली गई सिविल सर्विस परीक्षा में दिव्यांग श्रेणी की नियुक्ति में गड़बड़ी आरोप लगाते हुए दायर प्रशांत शांडिल्य की याचिका पर सुनवाई हुई. न्यायाधीश ने अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की. वहीं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और झारखंड लोक सेवा आयोग के अधिवक्ता संजय पीपरवाल ने अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग और कार्मिक विभाग को जवाब पेश करने को कहा है. जवाब आने के बाद मामले पर आगे सुनवाई की जाएगी.

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हाई कोर्ट ने मांगा जवाब

बता दें कि याचिकाकर्ता प्रशांत शांडिल्य ने छठी झारखंड लोक सेवा आयोग परीक्षा में नेत्रहीन कोटा में आवेदन किया था. उन्होंने आवेदन देने के समय देवघर के डॉक्टर द्वारा 40 प्रतिशत दिव्यांग का प्रमाण पत्र दिया था, लेकिन परीक्षा में अंतिम चयन के उपरांत उन्हें दिव्यांग कोटा में इसलिए नहीं रखा गया कि उन्हें मेडिकल बोर्ड ने 30 प्रतिशत दिव्यांग ही माना, जिसके कारण उनका अंतिम चयन नहीं हो सका. मेडिकल बोर्ड के उसी फैसले को उन्होंने हाई कोर्ट में चुनौती दी है. उसी याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने स्वास्थ्य विभाग और कार्मिक विभाग से जवाब मांगा है.

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