रांची: विधानसभा चुनाव आते राज्य की राजनीतिक में सरगर्मी तेज हो गई है. झारखंड में सभी पार्टियां अपने-अपने हिसाब से समीकरण बैठाने में लग गई है. एक तरफ यूपीए जहां अपने घटक दलों को संगठित करने में लगा है तो वहीं एनडीए भी अपने घटक दलों को रिझाने में लग गया है.
मुख्य मुकाबला होगा स्थानीय पार्टियों के बीच
राज्य में कुल 81 विधानसभा सीट है. बिहार से सटे इस राज्य में मुख्य मुकाबला स्थानीय पार्टियों के बीच होती है. इनमें झारखंड मुक्ति मोर्चा, झारखंड विकास मोर्चा और ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन पार्टी शामिल हैं. इनके अलावा छोटी-बड़ी दस से ज्यादा स्थानीय पार्टियां यहां चुनाव में हिस्सा लेती हैं.
जानकारी देते जेडीयू और भाजपा के प्रवक्ता
एनडीए के घटक दल जेडीयू चुनाव को लेकर झारखंड के 81 सीटों पर अकेले ही चुनाव लड़ने के बात कर रही है तो वहीं बीजेपी आगामी चुनाव में जेडीयू को साथ लेकर चलने को आश्वस्त कर रहा है.
JDU के प्रदेश प्रवक्ता श्रवण कुमार की राय
जेडीयू के प्रदेश प्रवक्ता श्रवण कुमार ने बताया कि पिछले दिनों हुए पटना कार्यालय में राष्ट्रीय कार्यकारिणी के बैठक में यह तय कर लिया गया है कि जेडीयू विधानसभा चुनाव में "एकला चलो" की रणनीति अपनायेगा, क्योंकि जेडीयू और बीजेपी का गठबंधन सिर्फ बिहार के लिए की गई है, अन्य राज्यों में जेडीयू अकेला ही चुनाव लड़ा है.
श्रवण कुमार ने बताया कि बिहार में जिस प्रकार नीतीश कुमार सुशासन का सरकार स्थापित किया है, उसी प्रकार झारखंड में भी जनता से एक मौके मांग रहे हैं ताकि झारखंड में भी सुशासन की सरकार स्थापित हो सके.
JDU से एक दशक से भी ज्यादा पुराना है गठबंधन-प्रतुल शाहदेव
वहीं, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव बताते हैं कि जेडीयू से हमारा एक दशक से भी ज्यादा पुराना गठबंधन रहा है और इसका फायदा हमें आने वाले चुनाव में भी अवश्य मिलेगा. बड़ी पार्टी होने के नाते जेडीयू के अलावा आजसू, लोजपा को भी हम साथ लेकर चलेंगे.
अब ऐसे में एक तरफ भाजपा जहां जेडीयू को साथ लेकर चलने की बात कह रही है. वहीं, जेडीयू भाजपा को दरकिनार कर सभी सीटों पर अकेले ही चुनाव लड़ सभी सीटों पर अपनी मजबूत पकड़ बनाना चाहती है.
JDU की कुछ विधानसभा क्षेत्रों में है मजबूत पकड़
बता दें कि बिहार के पड़ोसी राज्य होने के कारण झारखंड के पलामू और दुमका इलाके के कुछ विधानसभा क्षेत्रों में जेडीयू अपनी खासा पकड़ रखती है. जिसको लेकर बीजेपी को इन क्षेत्रों में जीत हासिल करने के लिए ज्यादा संघर्ष नहीं करना पड़ता है. इसीलिए भाजपा जेडीयू को एनडीए का घटक दल बनाए रखने में खासा रुचि दिखाती है.
कितना काम करेगी 'एकला चलो' की रणनीति
जेडीयू का एकला चलो की रणनीति अपनाने का दावा करना कितना सफल हो पायेगा, यह तो आने वाले कुछ दिनों में ही तय हो जाएगा की जदयू अकेले ही सभी सीटों चुनाव लड़ती है या फिर राज्य के सबसे बड़ी पार्टी भाजपा के सामने घुटने टेक साथ लड़ने का फैसला लेती है.