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JDU अध्यक्ष ललन सिंह बोले- 'किसी की कृपा से नहीं.. बिहार की जनता की ताकत से मुख्यमंत्री हैं नीतीश कुमार'

विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद जेडीयू को कम सीट मिलने की वजह से बीजेपी के कई नेता गाहे-बगाहे अपना सीएम बनाने की बात करते हैं. इसकी वजह से बीजेपी और जेडीयू में अक्सर मनमुटाव खुलकर सामने आता रहता है. 43 सीटों पर सिमटने के बावजूद बीजेपी ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री की कुर्सी तो दे दी, लेकिन बीजेपी नेताओं के आक्रामक बयान से जेडीयू और नीतीश कुमार असहज रहते हैं.

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Published : Apr 9, 2022, 7:25 PM IST

पटना: जनता दल युनाइटेड ने आज राजधानी पटना के कृष्ण मेमोरियल हॉल में सम्राट अशोक की जयंती (Emperor Ashoka birth anniversary) मनाई. इस मौके पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह (JDU President Lalan Singh) ने बड़ा बयान दिया. उन्होंने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि किसी की कृपा से नहीं, बल्कि बिहार की जनता की ताकत से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं. जनता ने उन्हें बनाया है क्योंकि नीतीश कुमार ने समाज के सभी वर्ग के लिए काम किया है.

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'नीतीश के इशारे पर वोट देता है अतिपिछड़ा समाज': ललन सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार ने पंचायती राज में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया है, सरकारी नौकरी में 35 प्रतिशत महिलाओं को मौका दिया जा रहा है. उन्होंने अतिपिछड़ा हो, या महिला हो सभी के लिए काम किया है. यही कारण है कि अभी भी अतिपिछड़ा समाज का एकमुश्त वोट नीतीश कुमार को ही जाता है. वो जहां इशारा कर देते हैं, ये समाज वहीं वोट करता है.

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केंद्र सरकार कराए जातीय जनगणना: वहीं जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने जातीय जनगणना को जरूरी बताया और कहा कि केंद्र सरकार को जातीय जनगणना करवानी चाहिए, जिससे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जो काम अंतिम पायदान के लोगों के लिए कर रहे हैं, उसको बल मिलेगा. ललन सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार बिहार को आगे बढ़ा रहे हैं और ऐसे में जातीय जनगणना होनी जरूरी है, जिससे पता चल सके कि किस जाति के कितने लोग हैं और किन लोगों को अभी तक सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

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43 सीटों पर सिमटने के बावजूद नीतीश CM: बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद जेडीयू को कम सीट मिलने की वजह से बीजेपी के कई नेता गाहे-बगाहे अपना सीएम बनाने की बात करते हैं. इसकी वजह से बीजेपी और जेडीयू में अक्सर मनमुटाव खुलकर सामने आता रहता है. 43 सीटों पर सिमटने के बावजूद बीजेपी ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री की कुर्सी तो दे दी, लेकिन बीजेपी नेताओं के आक्रामक बयान से जेडीयू और नीतीश कुमार असहज रहते हैं. उत्तर प्रदेश चुनाव के नतीजों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुश्किलें और बढ़ा दी है. यूपी में जीत के बाद बीजेपी नेताओं का मनोबल सातवें आसमान पर है और पार्टी नेता अब समझौते के मूड में नहीं दिख रहे हैं.

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BJP नेताओं के तेवर से जेडीयू असहज: बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर नीतीश सरकार में बीजेपी कोटे के मंत्री तक, सरकार की नीतियों पर लगातार सवाल खड़े कर रहे हैं. शराबबंदी, भ्रष्टाचार और बेलगाम अपराध को लेकर नीतीश बीजेपी नेताओं के निशाने पर हैं. नीतीश और प्रशांत किशोर के बीच दिल्ली में मुलाकात हुई और फिर नीतीश कुमार को लेकर चर्चा जोर पकड़ने लगी कि नीतीश कुमार राष्ट्रपति पद के सशक्त दावेदार हैं, लेकिन राज्यों के चुनाव के नतीजों के बाद दावों की हवा निकल गई और बीजेपी का पलड़ा एक बार फिर से भारी हो गया. नीतीश कुमार को फिर से समझौते के मोड में आना पड़ा. जुलाई महीने में उपराष्ट्रपति के चुनाव होने हैं और उपराष्ट्रपति के लिए नीतीश कुमार का नाम उछालकर बिहार से उन्हें केंद्र की राजनीति में भेजने की चर्चा है.

नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाने की चर्चा: राष्ट्रपति पद को लेकर बीजेपी और आरएसएस का स्टैंड क्लियर है कि इस पद पर बीजेपी या संघ से जुड़ा कोई व्यक्ति ही आसीन होगा. वहीं उपराष्ट्रपति पद को लेकर बीजेपी समझौता कर सकती है और पार्टी का रुख इस मुद्दे पर नरम है. चर्चा है कि अगर बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से हरी झंडी मिल जाती है, तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को केंद्र में भेजा जा सकता है.

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