रांचीः झारखंड राज्य जलसहिया संघ के बैनर तले हजारों की संख्या में जलसाहिया राजभवन के समक्ष आंदोलन कर रही है. इन आंदोलनकारियों की मांग है कि 48 महीने से लंबित मानदेय (Demand for payment of outstanding honorarium) का शीघ्र भुगतान हो. इसके साथ ही वर्तमान हेमंत सरकार द्वारा मानदेय को प्रोत्साहन राशि मे तब्दील किये जाने का विरोध कर रही हैं. बता दें कि रोजाना अलग अलग जिलों से बड़ी संख्या में जलसाहिया अपने छोटे छोटे बच्चे को लेकर राजभवन के समक्ष पहुंच रही है और धरना प्रदर्शन कर रही है.
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वर्ष 2011 में अनुबंध पर नियुक्त जलसाहिया इंसेंटिव पर ही नियुक्त हुई थी. लेकिन बाद में रघुवर दास की सरकार ने उन्हें 1000 रुपये मासिक मानदेय में तब्दील कर दिया था. कुछ महीने का मानदेय मिला. इसके बाद मानदेय नहीं मिला. महज 1000 रुपया प्रति महीने पर हर पंचायत में पेयजल और स्वच्छता विभाग की योजनाओं का सर्वे, शौचालय निर्माण और आवास निर्माण में सहयोग करने वाली जलसाहिया इसलिए हेमंत सरकार और विभागीय मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने नाराज हैं. क्योंकि वर्तमान समय मे एक तरफ जहां उनका मानदेय लंबित है. वहीं दूसरी ओर मानदेय को फिर से प्रोत्साहन राशि मे बदल दिया गया है.
गुमला से आई जलसाहिया कुंती देवी कहती है कि अगर विभागीय मंत्री और सरकार हमारी मांगें नहीं मानती है तो 29 हजार से अधिक जलसाहिया सामूहिक रूप से आत्मदाह करने के लिए मजबूर होंगे. आंदोलनकारी जलसाहिया पूर्व की भांति मानदेय लागू करने, 48 महीने के बकाया मानदेय देने के साथ साथ राज्य में जलसाहिया सेवा नियमावली बनाने, जलसाहिया को साल में तीन पोशाक देने का नियम लागू हो, जलसाहिया को 5 लाख रुपये की बीमा और अनुकंपा के साथ साथ नगर निकाय क्षेत्र में कार्यरत जल सहिया की छंटनी की नीति तत्काल रोकने और छटनीग्रस्त जलसाहियाओं को सेवा में वापस लाने की आदि प्रमुख मांग है.