रांचीः नए साल 2020 का पहला महीना यानी जनवरी खत्म होने वाला है. फरवरी शुरू होते ही जीवन की पहली परीक्षा जो कहीं ना कहीं सबके भविष्य के लिए निर्णायक होता है यानी बोर्ड एग्जाम का समय आ जाएगा. अपने करियर की नींव को गहराई प्रदान करने के लिए छात्र बोर्ड एग्जाम या फिर कहें मेट्रिक का एग्जाम के प्रति काफी गंभीर होते हैं. क्या वाकई मैट्रिक की परीक्षा में प्रथम आना वह भी अच्छे प्रतिशत के साथ एक बेहतर करियर की नींव रखता है. क्या दूसरे स्थान पर आने वाले छात्र अपने करियर के सर्वोच्च शिखर तक नहीं पहुंच पाते हैं इन सारी बातों को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने झारखंड कैडर के आईपीएस अधिकारी विनीत कुमार से खास बातचीत की.
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मैट्रिक की परीक्षा देने वाले छात्रों के लिए ईटीवी भारत एक ऐसे शख्स का साक्षात्कार दिखा रहा है, जिसके कई साथियों ने मैट्रिक की परीक्षा में कोई खास प्रदर्शन नहीं किया. लेकिन इसके बावजूद वे जीवन की ऊंचाइयों तक पहुंचे. झारखंड कैडर के आईपीएस अधिकारी विनीत कुमार ने बड़ी सहजता के साथ अलग-अलग सवालों का जवाब दिया.
मैट्रिक की परीक्षा में अच्छे मार्क्स सफलता का पैमाना नहीं
आईपीएस विनीत कुमार के अनुसार मैट्रिक के परीक्षा में ही कम नंबर आना जीवन की विफलता नहीं है. विनीत कहते हैं कि वह खुद मैट्रिक के परीक्षा में बेहतर परफॉर्म नहीं कर पाए थे, लेकिन उससे सबक लेते हुए आगे उन्होंने मेहनत किया और पहले इंजीनियर बने और फिर आईपीएस अधिकारी. विनीत के अनुसार पढ़ाई बेहद जरूरी है वह भी लगन के साथ. विनीत कहते हैं कि आप 8 घंटे ही पढ़ें लेकिन 16 घंटे तब भी वह पढ़ाई आपके दिमाग में चलते रहना चाहिए. विनीत के अनुसार दिखावे की पढ़ाई कभी नहीं करनी चाहिए दिखावे की पढ़ाई ही छात्रों के मनोबल को तोड़ देता है. विनीत के अनुसार कई छात्र ऐसे होते हैं जो सिर्फ अपने गार्जियंस को दिखाने के लिए पढ़ाई करते हैं, लेकिन उन छात्रों को यह पता रहता है कि उन्होंने दिखावे की पढ़ाई की है और जब रिजल्ट आने का समय शुरु होता है तो वे धीरे-धीरे अंदर से टूटने लगते हैं और आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते हैं.
जीवन सिर्फ आपका नहीं