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झारखंड में थल से नभ तक मानव तस्करों का जाल, लॉकडाउन में भी नहीं लगी लगाम

झारखंड में थल से नभ तक मानव तस्करों का जाल फैला है. लॉकडाउन में भी इस पर कोई रोक नहीं लगी. हाल यह है कि तस्करी के लिए बस और ट्रेन मार्ग के साथ-साथ हवाई मार्ग का भी उपयोग किया जा रहा है.

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मानव तस्करों का जाल

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Published : Jul 17, 2021, 2:30 PM IST

रांची: झारखंड में मानव तस्कर हवाई मार्ग का प्रयोग करने लगे हैं. मानव तस्करों को एक्टिव होने के बाद सीआईडी और पुलिस की टीम भी तस्कर ग्रुप पर नजर रख रही है, खासकर रांची रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट पर विशेष निगरानी रखी जा रही है.

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हवाई जहाज से भी हो रही तस्करी

झारखंड में मानव तस्करी का एक नया ट्रेंड हाल के दिनों में देखने को मिल रहा है. कोविड-19 संक्रमण की वजह से जब ट्रेनों का परिचालन कम हुआ तब मानव तस्कर हवाई जहाज से तस्करी को अंजाम देने लगे. साल 2021 की शुरुआत से लेकर जून तक केवल रांची एयरपोर्ट से ही 50 से अधिक लड़कियों को मानव तस्करों के हाथों से बचाया गया है जिनमे से अधिकांश नाबालिग थीं. राज्य पुलिस की सीआईडी की आंकड़ों के मुताबिक, साल 2015 से लेकर अब तक 660 मामले राज्य के एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट थानों में दर्ज की गई है जबकि इन्हीं मामलों में 300 चार्जशीट दायर हुई है. जबकि 90 मामले बंद हो चुके हैं वहीं 135 केस पेंडिंग हैं.

देखिए पूरी खबर

करोड़ों का मानव तस्करी का कारोबार


एक अनुमान के मुताबिक झारखंड में मानव तस्करी का अवैध कारोबार करने वाले तस्करों की कमाई करोड़ों में है. शातिर तस्कर पन्नालाल और उसके गिरोह को सलाखों के पीछे पहुंचाया गया है. मामला इतना बड़ा है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए भी इस मामले की जांच कर रही है. जानकार बताते हैं कि लॉक डाउन की वजह से मानव तस्करों का अवैध कारोबार बेहद प्रभावित हुआ था. हवाई मार्ग शुरू होने के बाद मानव तस्करों को एक नई आस दिखी और वे हवाई जहाज से भोले भाले ग्रामीणों और मासूम लड़कियों की तस्करी करने लगे.

लॉकडाउन में बढ़े मानव तस्करी के मामले

लॉकडाउन और कोरोना काल के दौरान भी कई मामले सामने आए हैं. इस कड़ी में रांची रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट से दो दर्जन से अधिक लड़कियों को मानव तस्करों के चंगुल से बचाया गया. हालांकि अब पुलिस टीम अलर्ट है. रांची रेलवे स्टेशन से मेरी सहेली और नन्हे फरिश्ते की टीम कड़ी निगरानी रख रही है. इनके द्वारा संयुक्त रूप से रांची रेल मंडल के विभिन्न स्टेशनों पर जांच अभियान चलाया जा रहा है. रांची एसएसपी द्वारा भी ग्रामीण इलाकों के थानेदारों को यह निर्देश दिया है कि वह पूरी तरह से मानव तस्करों पर नजर रखें.

कंट्रोल रूम से भी निगरानी


राजधानी रांची में सीसीटीवी कैमरे लगाने का काम लगभग पूरा हो चुका है. राजधानी के सभी प्रमुख चौक चौराहे अब सीसीटीवी कैमरे की जद में हैं. कांटाटोली बस स्टैंड के अलावा लगभग सभी ऑटो स्टैंड के आस पास हो रही गतिविधियों को कंट्रोल रूम से बैठकर लाइव देखा जा सकता है. यही वजह है कि कंट्रोल रूम में तैनात सीसीटीवी मॉनिटरिंग करने वाले पुलिसकर्मियों को यह निर्देश दिया गया है कि अगर एक साथ कहीं भी बहुत ज्यादा ग्रामीण परिवेश के नाबालिग दिखाई देते हैं तो नजदीक के थाने में सूचना दें ताकि उसका वेरिफिकेशन करवाया जा सके.

मुखबिरों से ली जा रही जानकारी


गौरतलब है कि लगातार मानव तस्कर यह प्रयास कर रहे हैं कि झारखंड के अलग अलग कस्बों से नाबालिग लड़कियों को बहला-फुसलाकर बाहर ले जाया जाए. वहीं पुलिस का यह प्रयास है कि मानव तस्करों की योजना पर लगाम लगाई जाए. पुलिस मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार इस बार ग्रामीण इलाकों में पुलिस के मुखबिरों को एक्टिव किया गया है. वही ग्रामीण इलाकों में पदस्थापित थानेदार को यह निर्देश दिया गया है कि वे अपने स्तर पर चिन्हित मानव तस्करों पर विशेष नजर रखें.

एयरपोर्ट पर विशेष चौकसी

झारखंड पुलिस के आईजी अभियान सह पुलिस प्रवक्ता अमोल होमकर के अनुसार रांची एयरपोर्ट पर पुलिस, सीआईएसएफ और कुछ एनजीओ द्वारा विशेष चौकसी बरती जा रही है. असामान्य गतिविधि वाले बच्चों को ले जाने वाले लोगों पर पूरी तरह से नजर रखी जा रही है. एयरपोर्ट थाना को भी निर्देश दिया गया है कि वे सजग रहें.

कितने मानव तस्कर हुए गिरफ्तार


राज्य की एएचटीयू थाना पुलिस ने पन्नालाल सरीखे बड़े तस्करों को गिरफ्तार किया है. साल 2008 से लेकर अबतक कुल 350 पुरूष और 150 महिला तस्कर पुलिस के हत्थे चढ़े हैं. जबकि नाबालिगों के रेस्क्यू के आंकड़े काफी कम हैं. पुलिसिया आंकड़ों के मुताबिक, अबतक कुल 716 लोगों को रेस्क्यू किया गया है, जिसमें 585 नाबालिग या महिलाएं शामिल हैं.

प्लेसमेंट एजेंसियों के जरिए फल फूल रहा धंधा


दिल्ली के पंजाबीबाग, शकरपुर इलाके में काम करने वाली कई प्लेसमेंट एजेंसियों के जरिए मानव तस्करी का धंधा फल फूल रहा है. राज्य सीआईडी ने दिल्ली में खोली गई 200 से अधिक एजेंसियों को चिन्हित किया था, जो मानव तस्करी में संलिप्तत थीं. झारखंड के मानव तस्करों के तौर पर चिन्हित बाबा वामदेव, पन्नालाल, रोहित मुनि, प्रभा मुनि समेत अन्य लोगों के द्वारा भी प्लेसमेंट एजेंसी चलाने की बात सामने आई थी. राज्य के अलग अलग हिस्सों से नाबालिगों को दिल्ली ले जाकर इन प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए एनसीआर में नाबालिगों को घरेलू नौकरानी के तौर पर बेचा जाता है.

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