रांची: झारखंड के बड़े शराब कारोबारी योगेंद्र तिवारी ने प्रेम प्रकाश के साथ मिली भगत कर साल 2021 में शराब का थोक कारोबार हासिल किया था. शराब का ठेका हासिल करने के लिए राज्य के बड़े नौकरशाहों और राजनेताओं की मदद और संरक्षण भी दोनों को मिला था. इस बात का जिक्र ईडी ने कोर्ट को सौंपे दस्तावेज में किया है.
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जमीन और बालू के जरिये अवैध कमाई:ईडी ने अपनी जांच में यह भी पाया है कि योगेंद्र तिवारी के सिंडिकेट के द्वारा अवैध तरीके से जमीन कब्जे, बगैर चालान बालू की तस्करी और लाइसेंसी दुकानों में अवैध शराब की स्टोरेज के माड्स के जरिए अवैध कमाई की. इस कमाई का इस्तेमाल उसने देवघर के रायबंगला की जमीन की खरीद में की. ईडी ने कोर्ट को बताया है कि राय बंगला की जमीन मूलत: किरण सिंह नाम की महिला की थी, लेकिन इस जमीन को फर्जी तरीके से खरीदी गई. इसमें योगेंद्र तिवारी की दो कंपनी मेसर्स शरण एक्लोहल प्राइवेट लिमिटेड और स्वास्तिक ट्रेडर्स की भूमिका रही. जमीन की डील में जिस राशि का जिक्र है, वह भी मूल भुगतान से अलग है. आरोप है कि रायबंगला की जमीन को हड़पने के लिए किरण सिंह के मकान को ध्वस्त करा दिया गया था.
कर्मियों के नाम पर बैंक खाते, कंपनियां खोल करता था कारोबार: ईडी ने कोर्ट को बताया है कि योगेंद्र तिवारी और उसके भाई अमरेंद्र तिवारी ने अपने कर्मचारियों के नाम पर कई बैंक खाते खोले थे. शराब दुकानों के सेल्समैन के नाम पर भी कंपनियां बनी. योगेंद्र ने उन्हें अपना पार्टनर बनाया था. साल 2021 में इन कंपनियों को थोक शराब कारोबार का टेंडर मिला था. इस कारोबार में होने वाले लाभ का सीधा फायदा योगेंद्र तिवारी को मिलता था. ईडी ने जो दस्तावेज जुटाए हैं, उसके मुताबिक अवैध बालू और शराब का सारा कारोबार दूसरों के नाम पर किया जाता था. लेकिन इस कारोबार पर पूरा कंट्रोल योगेंद्र तिवारी के हाथ में था.
जमीन, बालू व कोयले से की अवैध कमायी:ईडी ने जांच में पाया है कि देवघर समेत कई जगहों में जमीन लूट के जरिए करोड़ों की कमाई योगेंद्र तिवारी ने की, इसके अलावे संताल परगना में बालू की तस्करी व कोयले के कारोबार के जरिए भी उसने अवैध कमाई की. इन सारे पैसों का निवेश भी शराब के थोक कारोबार हासिल करने के लिए किया गया था. शराब कारोबार हासिल करने के लिए बकायदा सिंडिकेट बनायी गई थी. प्रेम प्रकाश और योगेंद्र तिवारी की अहम भूमिका इस सिंडिकेट को खड़ा करने में थी.