रांची:लगातार बढ़ रही आधुनिकीकरण और वाहनों की संख्या की वजह से झारखंड का वातावरण प्रदूषित (Air pollution in Jharkhand) हो ही रहा है. ऐसे में दीपावली के दीयों और आतिशबाजी की धुएं (Fireworks on Diwali) राज्य के वातावरण को और भी दूषित करेगी. ऐसे दूषित वातावरण में सबसे ज्यादा नुकसान किसी को होता है तो वह परिवार के बुजुर्ग को होता है क्योंकि बढ़ती उम्र के साथ उनके शरीर के अंग भी कमजोर हो जाते हैं. खास तौर से बुजुर्ग पहले से ही ब्रोंकाइटिस, क्रॉनिक पलमोनरी डिजीज, अस्थमा, ब्लड प्रेशर, हृदय की अन्य बीमारियां से ग्रसित होते हैं. ऐसे में जब वातावरण में धुआं और साउंड पॉल्यूशन बढ़ता है तो उन्हें ह्रदय से जुड़ी बीमारियां होने के खतरे बढ़ जाते हैं.
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विशेषज्ञ क्या कहते हैं:विशेषज्ञ बताते हैं कि दीपावली के दौरान पटाखे से सल्फर ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी जहरीली गैस वातावरण में फैलती है, जो सांस के माध्यम से लोगों के हृदय में जाती है. रिम्स के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर विनीत महाजन बताते हैं कि सांस की नली में संक्रमण तभी फैलता है जब वातावरण में मौजूद प्रदूषक तत्व और जहरीली गैस सांसो के जरिए शरीर में प्रवेश करती है. जब जहरीले गैस शरीर के अंदर जाते हैं तो वह सबसे पहले लंग्स पर हमला करते हैं. ऐसे में जो बुजुर्ग व्यक्ति होते हैं, उन्हें अस्थमा या ब्रोंकाइटिस जैसे अटैक आने की संभावना बढ़ जाती है. बुजुर्ग लोगों की सेहत को देखते हुए युवाओं को यह ख्याल रखना चाहिए कि वह आतिशबाजी खुली जगह पर करें. घरों या फिर बंद रूम में आतिशबाजी ना करें या दीये ना जलाएं क्योंकि आतिशबाजी से निकलने वाले धुएं एक जगह जमा होते हैं और वह सीधे व्यक्ति के शरीर में घुसते हैं.