रांचीः बेड़ो का ऐतिहासिक हड़बोड़ी बूढ़ा जतरा संपन्न हुआ. बेड़ो प्रखंड मुख्यालय स्थित ऐतिहासिक महादानी मंदिर के गुंबद की गांव के पाहन रवि पाहन ने नृत्य करते हुई परिक्रमा की. इस परिक्रमा के साथ ही आदिवासियों का पारंपरिक हड़बोडी जतरा बूढ़ा जतरा बुधवार की देर संपन्न हो गया.
इसके पूर्व आदिवासियों ने परंपरा के अनुसार पूरे रीति रिवाज और परम्परा के अनुसार बेड़ो सीमाना पर स्थित कुंडी स्थल में पुलखी पत्थर पर जल डाल कर पुरखों को याद किया. साथ ही ढोल, ढाक, नगाड़े, शहनाई की धुन पर महिलाओं ने सिर पर दीप व फूलों से सजाई गई कंडसा उठाया. महिलाएं नृत्य और गीत के साथ महादानी मंदिर पहुंची, जहां विभिन्न खोड़हा दल नृत्य व गीत प्रस्तुत करते हैं.
इधर जतरा के दौरान परंपरा के अनुसार गांव के पाहन के वंशज रवि पाहन ने मंदिर के गुंबद पर चढ़ कर हाथ में आम की डाली के साथ नृत्य किया. आदिवासी परंपरा के अनुसार ग्रामीणों ने मृत परिजन के नाम पर हड़बोडी की रस्म निभाते हुए उनके नाम का झंडा निकाला. इसके एक दिन पूर्व नए चावल का पीठा बनाकर गांव के पाहन द्वारा गाजे बाजे के साथ महादानी बाबा भगवान भोलेनाथ को पीठा चढ़ाया.
वहीं इस क्षेत्र के ग्रामीणों ने भी अपने अपने घरों में पीठा बनाकर बूढ़ा पीठा जतरा मनाया. इधर गांव के महतो राकेश भगत ने इस जतरा पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इस कार्यक्रम से आदिवासी समाज अपने पूर्वजों को याद करते हुए उन्हें नए अनाज से बने पकवान पीठा चढ़ाते हैं और पूरे गांव में पीठा व खस्सी का भोजन किया जाता है. दूसरे दिन कुंडी नदी में पूर्वजों की अस्थि विसर्जित की जाती है. उसके बाद पाहन द्वारा ढोल नगाड़ों, ढाक के साथ जुलूस की शक्ल में ऐतिहासिक महादानी मंदिर के शिखर पर नृत्य किया जाता है. दूसरे दिन गांव के महतो, पाहन पुजार पूजा करते हैं. जिसके साथ शुभ कार्य प्रारंभ कर दिया जाता है.