रांची:झारखंड में एक कहावत बेहद ही चर्चित है यहां भगवान मिलना मुश्किल नहीं, बल्कि सरकारी नौकरी मिलना बेहद ही मुश्किल है. इस कहावत को चरितार्थ कर रहा है हाईस्कूल शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया जो पिछले सात वर्षों से चल रही है. लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद अब सुखद बात यह है कि करीब नौ हजार अभ्यर्थियों के अच्छे दिन आनेवाले हैं. 2016 से चल रही हाईस्कूल शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है. झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने विभिन्न विषयों के लिए चयनित किए गए ऐसे शिक्षक अभ्यर्थियों की सूची राज्य सरकार को नियुक्ति के वास्ते भेजना शुरू कर दिया है.
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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सौंपेंगे नियुक्ति पत्रःसुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति परीक्षा 2016 में विभिन्न विषयों के लिए बनाए गए राज्य स्तरीय मेरिट लिस्ट में पदों के अनुरूप अभ्यर्थियों का चयन कर शिक्षा विभाग को नियुक्ति के लिए अनुशंसा भेजना शुरू कर दिया है.जानकारी के मुताबिक राज्य के विभिन्न जिलों के हाई स्कूलों में इसी माह करीब नौ हजार शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी. इन शिक्षकों को नियुक्ति पत्र मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हाथों प्रदान किया जाएगा.स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं.मुख्यमंत्री का समय मिलते ही नियुक्ति पत्र वितरण समारोह की घोषणा कर दी जाएगी.झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने इतिहास, नागरिक शास्त्र, कुड़ख, उड़िया, मुंडारी आदि विषयों के चयनित अभ्यर्थियों की सूची के अलावे सोनी कुमारी के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 15 दिसंबर 2022 को पारित आदेश के अनुसार मूल याचिकाकर्ताओं के रूप में सूचीबद्ध 332 योग्य अभ्यर्थियों की नियुक्ति की अनुशंसा की है.
आखिर क्यों लटक रही थी नियुक्ति परीक्षाः पूर्ववर्ती रघुवर सरकार के कार्यकाल में हाईस्कूल शिक्षकों की नियुक्ति के लिए 2016 में विज्ञापन निकाले गए थे. 2016 की नियोजन नीति के तहत निकाला गया यह विज्ञापन कानूनी उलझन में सबसे पहले फंसा. इसके बाद सोनी कुमारी और अन्य के द्वारा झारखंड उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर सरकार के नियोजन नीति जिसमें झारखंड के 13 अनुसूचित जिलों के सभी तृतीय और चतुर्थ वर्गीय पदों को उसी जिले के लिए स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित करने और शेष 11 गैर अनुसूचित जिलों में बाहरी अभ्यर्थियों को आवेदन देने की छूट संबंधी प्रावधान पर आपत्ति जताई गई.
2016 में नियोजन नीति रद्द होने के बाद फंसा था मामलाः कानूनी लड़ाई के बीच झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने वर्ष 2016 में हाई स्कूल शिक्षकों के लिए अनुसूचित जिलों में 8423 और गैर अनुसूचित जिलों में 9149 पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की. चूंकि यह परीक्षा जिला स्तर पर बनने वाले मेरिट के आधार पर विभिन्न विषयों में शिक्षकों की नियुक्ति होनी थी, इस वजह से कई गैर अनुसूचित जिलों में नियुक्ति की प्रक्रिया विभिन्न विषयों में परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों की होनी भी शुरू हो गई, लेकिन इस बीच झारखंड हाई कोर्ट की लार्जर बेंच ने 21 सितंबर 2020 को झारखंड सरकार के नियोजन नीति 2016 को असंवैधानिक करार देते हुए इसे निरस्त कर दिया. इसके अलावा कोर्ट ने 13 अनुसूचित जिलों में नियुक्त शिक्षकों की नियुक्ति को रद्द करते हुए गैर अनुसूचित जिलों में नियुक्त हुए शिक्षकों की नियुक्ति को बरकरार रखने का भी आदेश दिया.
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2022 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुनाया था अहम फैसलाःकानूनी लड़ाई यहीं नहीं खत्म हुई हाईकोर्ट के लार्जर बेंच के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थी सत्यजीत कुमार और अन्य की ओर से एसएलपी दायर की गई. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने दो अगस्त 2022 को इस मामले में अहम फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार झारखंड कर्मचारी चयन आयोग को राज्य स्तरीय मेधा सूची बनाने और इस मामले में याचिका दाखिल करने वाले सभी अभ्यर्थियों को नियुक्ति प्रदान करने का आदेश दिया. जिसके बाद झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने ऐसे अभ्यर्थियों का सर्टिफिकेट वेरीफिकेशन करने के उपरांत जिला स्तर पर हाई स्कूलों में नियुक्ति के लिए अभ्यर्थियों की सूची राज्य सरकार को भेजी है.बहरहाल, लंबी कानूनी लड़ाई के बाद जहां सफल अभ्यर्थियों में खुशी है. वहीं शिक्षकों की कमी से जूझ रही राज्य सरकार को भी बड़ी राहत मिलने जा रही है.