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सहायक अभियंता नियुक्ति मामले में अब तक जवाब नहीं देने पर हाईकोर्ट नाराज, सरकार को लगाया जुर्माना

सहायक अभियंता नियुक्ति मामले में अब तक जवाब नहीं देने पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई (High Court Angry For Not Answering In Time) है. कोर्ट ने राज्य सरकार पर 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है.

High Court
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Published : Nov 22, 2022, 3:27 PM IST

रांची: सहायक अभियंता नियुक्ति मामले (Assistant Engineer Recruitment Case) में जवाब के लिए हाई कोर्ट के द्वारा बार-बार समय दिए जाने के बाद भी राज्य सरकार के द्वारा जवाब समय पर नहीं दायर करने पर हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई (High Court Angry For Not Answering In Time) है. राज्य सरकार पर कोर्ट ने 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. जुर्माना की राशि झालसा में जमा करने का आदेश दिया गया है. जुर्माने की राशि जमा करने के उपरांत सरकार को जवाब दायर करने की छूट रहेगी.

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मामले की अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगीः मामले की अगली सुनवाई 29 नवंबर को तय की गई है. तब तक के लिए मामले की सुनवाई को स्थगित कर दिया गया है. इसके साथ ही सभी सफल अभ्यर्थियों को भी प्रतिवादी बनाने का निर्देश दिया गया है.

जवाब पेश करने के लिए मांग गया समयः झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार से पूछा कि जवाब क्यों नहीं दायर किया गया. जिस पर सरकार की ओर से बताया गया कि वे समय से जवाब नहीं दायर कर सके. वह जवाब तैयार करके लाएं हैं. उन्हें जवाब पेश करने के लिए समय दिया जाए. जिस पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए जुर्माना की शर्त पर जवाब पेश करने की छूट दी है.


कोर्ट ने पूछा कोटि और कोटा का अंतरःबताते चलें कि कोर्ट ने सरकार से पूछा कि कोटि और कोटा में क्या अंतर है. इस पर राज्य सरकार को शपथ पत्र दाखिल करने को कहा गया था, लेकिन सरकार की ओर से समय की मांग की गई. मामले में जेपीएससी की ओर से कहना है कि प्रारंभिक परीक्षा में रिजर्वेशन नहीं दिया गया है. एकल पीठ ने भी जेपीएससी की दलील को सही मानते हुए प्रार्थी की याचिका खारिज कर दी है. सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि अगर इस विज्ञापन के आधार पर कुछ नियुक्ति होती है तो वह इस एलपीए के अंतिम निर्णय से प्रभावित रहेगी.

जेपीएससी इंटरव्यू में शामिल अभ्यर्थियों को भी दें जानकारीःकोर्ट ने जेपीएससी को कहा कि वैसे अभ्यर्थी जो इंटरव्यू में शामिल हुए थे, उन्हें भी इसकी जानकारी दे दी जाए. प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने पैरवी की. जबकि सफल अभ्यर्थियों की ओर से कुमार हर्ष ने पैरवी की. जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल, राकेश रंजन और प्रिंस कुमार ने पैरवी की.

कोर्ट ने रिजल्ट जारी करने पर रोक लगाने से किया इनकारः सुनवाई के दौरान अपीलकर्ता की ओर से कहा गया रिजल्ट प्रकाशन पर रोक लगाई जाए. जिसका जेपीएससी ने विरोध किया. जेपीएससी की ओर से कहा गया कि इस मामले में कोर्ट ने पूर्व में यह आदेश दिया है कि इस याचिका के फैसले से रिजल्ट प्रभावित होगी. इसके बाद कोर्ट ने रिजल्ट जारी करने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.



पीटी का संशोधित रिजल्ट रद्द करने का आग्रहः बता दें कि प्रार्थी की ओर से पीटी परीक्षा में आरक्षण दिए जाने को गलत बताते हुए एकल पीठ में इससे पहले रिट दायर की गई थी. उनकी ओर से कहा गया था कि सहायक अभियंता नियुक्ति (Assistant Engineer Recruitment Case) से संबंधित पीटी परीक्षा में आरक्षण देना गलत है. उनकी ओर से पीटी का संशोधित रिजल्ट रद्द करने का आग्रह किया गया था. जिसे एकल पीठ ने खारिज कर दी थी और अब इसे खंडपीठ में चुनौती दी गई है.

पीटी परीक्षा में आरक्षण का कोई प्रावधान नहींः याचिकाकर्ता भास्कर ने इस मामले में याचिका दायर कर कहा है कि सहायक अभियंता की नियुक्ति में कोटिवार रिजल्ट जारी किया गया है. वहीं आरक्षित श्रेणी के कुछ अभ्यर्थियों को आरक्षण देते हुए सामान्य श्रेणी में रखा गया है. जबकि पीटी परीक्षा में आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है.

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