रांचीः पांच सितंबर सोमवार को शिक्षक दिवस पर आयोजित किए जा रहे झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र पर रहस्य बना हुआ है. सरकार इस पर पत्ते नहीं खोल रही है, गठबंधन दल के विधायक और मंत्री भी तस्वीर साफ करने से परहेज कर रहे हैं. इससे अटकलों का बाजार गर्म है, लोग तमाम तरह का अनुमान लगा रहे हैं. लेकिन फिर पुष्टि के अभाव में राजनीतिक पंडितों के एक समीकरण के सापेक्ष दूसरा समीकरण पेश कर दिया जा रहा है. इससे लोगों के मन में तमाम तरह शंकाएं और संभावनाएं उमड़ घुमड़ रही हैं और हर दिमाग में यही सवाल है कि क्या होगा झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र में.
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इस बीच रविवार को सीएम हेमंत सोरेन मीडियाकर्मियों से मिले. बैगनी रंग की टीशर्ट में अपने ही अंदाज में रविवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आत्मविश्वास से भरे नजर आए. मीडियाकर्मियों को विधानसभा के विशेष सत्र पर बयान भी दिया. लेकिन असली बात वे भी दबा गए. इस तरह अब भी अफवाहों का बाजार गर्म है और आमलोगों से लेकर राजनीतिक पंडितों तक के दिमाग में इन दिनों एक ही सवाल घुमड़ रहा है कि आखिर क्या होने वाला झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र में.
हमारे खिलाफ बुने जाल कुतर दिए जाएंगेःसीएम हेमंत ने पांच सितंबर सोमवार को शिक्षक दिवस पर आयोजित किए जा रहे झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र पर कहा कि अभी तो सत्र शुरू होने में कई घंटे बाकी हैं, लेकिन यह तय है कि हमारे खिलाफ जितने जाल बुने गए हैं, वह सब कुतरे जाएंगे. विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने और विश्वास मत लेने की जरूरत के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हम विश्वासमत नहीं लेंगे तो क्या वो यानी की विपक्ष के लोग लेंगे.
पेयजल मंत्री मिथिलेश ठाकुर विशेष सत्र पर यह बोलेः पेयजल मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने विशेष सत्र पर ईटीवी भारत से कहा था कि मॉनसून सत्र एक दिन पहले ही समाप्त कर दिया गया था, परंतु सत्र का अवसान नहीं किया गया था. ऐसे में विधानसभा नियमावली में मिली शक्तियों का उपयोग करते हुए एक दिन का सत्र बुलाया गया है. जिसमें राज्य स्तरीय और जनसरोकार से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होगी. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान सदन में जाति आधारित जनगणना, ओबीसी आरक्षण को 14% से बढ़ाकर 27% करने को लेकर सरकार का संकल्प, 1932 आधारित स्थानीय नीति और सुखाड़ की अद्यतन स्थिति पर जैसे कई मुद्दों पर चर्चा होगी.
विधानसभा के पत्र में सिर्फ विश्वास प्रस्ताव रखने का जिक्रःसोमवार को होने वाले सदन की कार्यवाही के लिए सभी सदस्यों को एजेंडा भेज दिया गया है. विधानसभा सचिवालय से जारी पत्र में सदन में सरकार की ओर से सिर्फ विश्वास प्रस्ताव रखे जाने की बात कही गई है. सरयू राय ने कहा कि इससे यदि सदन में कोई विशेष चर्चा सरकार कराना चाहती है तो नियम के अनुकूल प्रारूप में इसे लाना पड़ेगा. एक सवाल के जवाब में सरयू राय ने कहा कि सदन में विश्वास मत प्राप्त कर लेने से कोई ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा. ये ऐसी बातें होंगी जैसे एक तिनके से मिसाइल का सामना करना हो. उन्होंने कहा कि विश्वासमत(vote of confidence) प्राप्त कर लेने के अगले दिन यदि संविधान के अनुरूप चुनाव आयोग का कोई फैसला आ जाता है तो उस फैसले को विश्वास प्रस्ताव नहीं रोक सकता है. इसलिए कहीं भी कोई भी संसदीय परंपरा हैं चाहे लोकसभा हो या राज्यसभा या विधानसभा में. उसमें कोई भी बाध्यता नहीं है कि एक बार विश्वास प्रस्ताव प्राप्त हो जाएगा तो सरकार के खिलाफ अन्य कानूनी कार्रवाई के प्रावधानों का उपयोग चाहे केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा नहीं किया जा सकेगा. इसलिए यदि ऐसा है तो मुकम्मल समझदारी का अभाव है.
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सरयू राय बोले सरकार को अपनों से ही खतराःइधर, विधायक सरयू राय ने कहा कि सरकार को विपक्ष से खतरा नहीं है बल्कि अपनों से खतरा है. इसी वजह से विधायकों को पकड़ कर रायपुर के होटल में पांच दिनों से रखा गया है. उन्होंने कहा कि यदि किसी दल या विधानसभा सदस्य के द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता तो सरकार विश्वास मत हासिल कर सकती थी. मगर सरकार खुद विश्वासमत (vote of confidence) प्राप्त करने के लिए एक दिन का सत्र बुलाया है.
सदन में विशेष चर्चा कराकर विश्वासमत प्राप्त करेगी सरकारः आलमगीर
रांची में दो सितंबर को संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने बताया था कि वर्तमान राजनीतिक अस्थिरता को देखते हुए विशेष सत्र बुलाया गया है, जिसमें विभिन्न विषयों पर विशेष चर्चा होगी. आलमगीर आलम ने कहा कि 5 सितंबर को आहुत विशेष सत्र के दौरान ओबीसी आरक्षण, स्थानीय नीति और जातिगत जनगणना जैसे अहम मुद्दों पर विशेष चर्चा होने की संभावना है. लेकिन सदन में कोई बिल नहीं लाया जाएगा.