रांचीः झारखंड की राजनीति बदलने वाली है, बहुत जल्द एक नया चेहरा देखने को मिलेगा. संभव है कि मंत्रियों का पोर्टफॉलियो भी बदले. इसकी वजह है, डुमरी से लगातार चार बार झामुमो के विधायक रहे जगरनाथ महतो उर्फ टाइगर दा का असमय निधन. चर्चा शुरू हो चुकी है कि झामुमो का कैंडिडेट कौन होगा. इसका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है.
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हेमंत कैबिनेट में जगरनाथ महतो दूसरे मंत्री थे जिनका असमय निधन हुआ था. उनसे पहले हाजी हुसैन अंसारी चल बसे थे लेकिन उनका विकल्प मौजूद था. पार्टी ने बिना वक्त गंवाए उनके पुत्र हफीजुल अंसारी को चुनाव से पहले ही मंत्री बना दिया था. उपचुनाव में उनको सहानुभूति वोट भी मिला था.
कौन लेगा जगरनाथ महतो की जगहः यह बेहद पेचिदा और कठिन सवाल है. दिवंगत जगरनाथ महतो के पुत्र अखिलेश महतो उर्फ राजू अगर 25 साल के होते तो कोई दिक्कत ही नहीं थी उनकी चार पुत्रियां हैं जो ब्याही जा चुकी हैं. कुल मिलाकर उनकी जगह सिर्फ उनकी पत्नी ले सकती हैं. अब देखना है कि वह तैयार हो पाएंगी या नहीं. अभी के माहौल में पार्टी जिसको भी कैंडिडेट बनाएगी, उसकी जीत का रास्ता सहानुभूति वोट की वजह से बिल्कुल आसान होगा. लेकिन इसके लिए परिवार की सहमति की जरूरत पड़ेगी.
छठी सीट पर होगा उपचुनावः झारखंड एक बार फिर उपचुनाव के मुहाने पर खड़ा हो गया है. अबतक दुमका, मधुपुर, बेरमो, मांडर और रामगढ़ में उपचुनाव हुआ है. दुमका में झामुमो, मधुपुर में झामुमो, बेरमो और मांडर में कांग्रेस अपनी-अपनी सीटें निकालने में सफल रहीं लेकिन रामगढ़ में कांग्रेस की सीट को महागठबंधन की ताकत नहीं रोक पाई. यह सीट आजसू प्रत्याशी भाजपा के सहयोग से निकाल कर ले गयीं. अब झामुमो की बारी है, क्या पार्टी अपनी तीसरी सीट निकाल पाएगी.
झारखंड कैबिनेट में फेरबदल होना तयः चर्चा शुरू हो चुकी है कि हेमंत कैबिनेट में दिवंगत जगरनाथ महतो की जगह कौन ले सकता है. यह सभी जानते हैं कि कैबिनेट का गठन कास्ट सिस्टम के हिसाब से होता है. हेमंत सरकार में झामुमो कोटे से सीएम के अलावा शेष चार मंत्रियों में हफीजुल हसन अल्पसंख्यक समुदाय से, मिथिलेश ठाकुर अगड़ी जाति से, जोबा मांझी और चंपई सोरेन अनुसूचित जनजाति समाज से आते हैं.
जगरनाथ महतो मूलवासी और ओबीसी के एक बड़े नेता थे. जाहिर है कि पार्टी उनकी जगह ओबीसी को ही डालना चाहेगी. ऐसे में फिलहाल मथुरा महतो से बेहतर कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा है. वह पुराने नेता हैं और पहले भी मंत्री रह चुके हैं. गुरूजी के करीबी भी माने जाते हैं. एक और विकल्प के रूप में गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार सोनू नजर आ रहे हैं. लेकिन वह पहली बार विधायक बने हैं. अगर उनको टाइगर दा की जगह दी जाती है तो पार्टी में असंतोष उभरेगा. क्योंकि पहले से ही बोरियो विधायक लोबिन हेंब्रम अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. दूसरी ओर बिशुनपुर से झामुमो विधायक चमरा लिंडा अलग राह पर चल रहे हैं.