रांची: झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) द्वारा ली जाने वाली परीक्षा में झारखंड से ही 10वीं और 12वीं पास की अनिवार्यता मामले पर अब छह अप्रैल को अगली सुनवाई होगी. प्रार्थी रमेश हांसदा द्वारा दायर याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता परमजीत पटालिया ने याचिका की सुनवाई पर ही प्रश्न उठाया. जिस पर प्रार्थी की ओर से पूर्व महाधिवक्ता अजीत कुमार ने विरोध किया. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए 6 अप्रैल की तिथि निर्धारित कर दी.
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झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता कुमार हर्ष ने बताया कि झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र दायर किया गया. सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पक्ष रखा. राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि जेएसएससी नियुक्ति नियमावली में संशोधन कर जो शर्तें लागू की गईं हैं, उससे फिलहाल प्रार्थी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है. इसलिए इस याचका कि फिलहाल सुनवाई नहीं होनी चाहिए.
याचिकाकर्ता की ओर से सरकार के अधिवक्ता द्वारा दी गई दलील का विरोध किया गया. कहा गया कि सरकार का जवाब गलत है. संशोधन में जो शर्तें लागू की गईं हैं. वह असंवैधानिक हैं. इससे मौलिक अधिकार का हनन होता है. इसलिए यह याचिका सुनवाई योग्य है. इस पर विस्तृत सुनवाई की जानी चाहिए. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए 6 अप्रैल की तिथि निर्धारित की है. अब देखना अहम होगा कि दोनों पक्षों द्वारा क्या दलील दी जाती है. फिलहाल इस याचिका पर सुनवाई होगी या नहीं इस पर फैसला 6 अप्रैल को होगी.
बता दें कि रमेश हांसदा ने झारखंड सरकार द्वारा जेएसएससी नियुक्ति नियमावली में किए गए संशोधन को हाईकोर्ट में चुनौती दी है. उनकी ओर से बताया गया था कि नियुक्ति नियमावली में जो संशोधन किया गया है. वह गलत है. असंवैधानिक है. इसलिए इसे रद्द कर दिया जाए. उन्होंने अदालत को यह बताया कि नियुक्ति नियमावली में सिर्फ झारखंड से 10वीं और 12वीं पास करने वाले अभ्यर्थियों को ही झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित होने वाली प्रतियोगिता परीक्षा में भाग लेने की अनुमति होगी.
झारखंड के वैसे निवासी जिसे आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा रहा है. सिर्फ उन पर ही यह नियम लागू होगा. झारखंड के वैसे निवासी जिन्हें यहां आरक्षण का लाभ दिया जाता है. उस पर यह नियम शिथिल रहेगा. यह गलत है. उन्होंने यह भी कहा कि यह नियम एक खास वर्ग के लिए बनाया गया है. इसलिए यह नियम असंवैधानिक है. इसे निरस्त कर दिया जाए.