रांची:झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में गंगा नदी में मालवाहक जहाज परिचालन की अनुमति (Permission to operate cargo ship in Ganga river) से संबंधित मामले पर सुनवाई हुई. हाई कोर्ट के आदेश के आलोक में मामले की सुनवाई के दौरान कटिहार डीएम उदयन मिश्रा और साहिबगंज डीसी रामनिवास यादव हाजिर हुए. कटिहार डीएम ने अदालत से आदेश के अनुपालन के लिए समय की मांग करते हुए कहा कि कम से कम उन्हें 2 सप्ताह का समय दिया जाए. उन्होंने आश्वस्त किया कि 2 सप्ताह में आदेश का अनुपालन कर दिया जाएगा. जिस पर अदालत ने उनके आग्रह को स्वीकार करते हुए उन्हें 2 सप्ताह का समय दिया. मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी.
कटिहार डीएम झारखंड हाई कोर्ट में हुए हाजिर, कहा- 2 सप्ताह में हो जाएगा आदेश का अनुपालन
गंगा नदी में मालवाहक जहाज परिचालन की अनुमति (Permission to operate cargo ship in Ganga river) से जुड़े मामले में झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. जहां कटिहार डीएम उदयन मिश्रा ने अदालत से 2 सप्ताह का समय मांगा है. मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 नवंबर की तिथि निर्धारित की गई है.
गंगा नदी में मालवाहक जहाज परिचालन की अनुमति नहीं देने से जुड़े मामले में अदालत ने साहिबगंज डीसी और कटिहार डीएम को हाजिर होने का आदेश दिया था. इससे पहले हुई सुनवाई के दौरान साहिबगंज डीसी अदालत में उपस्थित थे. वहीं, कटिहार डीएम बीमारी का हवाला देते हुए कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए थे. कटिहार डीएम उदयन मिश्रा की जगह एसडीएम कुमार सिद्धार्थ अदालत में मौजूद थे. उनकी अनुपस्थिति पर अदालत ने कड़ी नाराजगी जताते हुए अवमाननावाद का केस दर्ज करने का आदेश दिया था और डीएम को 3 नवंबर को अदालत में हाजिर होने को कहा था. इस बार सुनवाई में कटिहार डीएम ने समय मांगा.
क्या है पूरा मामला:दरअसल, जय बगरंग बली स्टोन वर्क्स के मालिक प्रकाश चंद्र यादव ने झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है. जिसमें कहा गया है कि पहले जिला प्रशासन द्वारा समदा घाट (साहिबगंज) और मनिहारी घाट (कटिहार,बिहार) के बीच गंगा नदी में उनके मालवाहक जहाज के संचालन की अनुमति दी गयी थी. बावजूद इसके रोल-ऑन/रोल-ऑफ था. भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) से संचालन की अनुमति नहीं थी. प्राधिकरण ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा जहाजों का संचालन भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण अधिनियम 1985, राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम 2016, अंतरदेशीय पोत अधिनियम 1917 के प्रावधानों के साथ-साथ केंद्र सरकार द्वारा लागू कानूनों के अनुसार किया जाएगा. इसके अलावा संथाल परगना डिवीजन के आयुक्त ने निर्देश दिया था कि याचिकाकर्ता अपने स्वामित्व वाले या वैध समझौते के तहत अपने कितने भी जहाजों/ रो-रो जहाजों/ बार्जों की फेरी लगा सकता है. याचिकाकर्ता ने कहा कि स्पष्ट आदेश के बावजूद साहिबगंज और कटिहार जिला प्रशासन ने मालवाहक जहाज संचालित करने की अनुमति नहीं दी और जब झारखंड उच्च न्यायालय ने उनके पक्ष में आदेश पारित किया, तो दोनों जिला प्रशासन ने बाधा उत्पन्न की. इसलिए वे काम करने में असमर्थ हैं और उनका व्यवसाय प्रभावित हुआ है. याचिकाकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता विमल कीर्ति सिंह ने कोर्ट के समक्ष पक्ष रखा.