रांचीः राज्य में कोरोना के बढ़ते संक्रमण और इलाज की लचर व्यवस्था को ठीक करने के बिंदु पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. झारखंड हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से कई तल्ख टिप्पणियां करते हुए कहा कि राज्य सरकार के अधिकारी मूकदर्शक बनकर देखते रहते हैं. हाई कोर्ट की ओर से कई तरह के आदेश दिए गए हैं, लेकिन इनके ऊपर किसी भी तरह का कोई प्रभाव ही नहीं पड़ता. यह लोग सिर्फ सुनवाई के दौरान आते हैं और अपना शपथ पत्र-शपथ पत्र का खेल खेलत रहते हैं. उन्होंने फटकार लगाते हुए कहा कि अधिकारी कि ऐसी स्थिति पर लोगों में आक्रोश की स्थिति देखी जाती है. सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि राज्य में संक्रमित मरीज इधर-उधर भटक रहे हैं. उन्हें सीट नहीं मिल रही है. उस पर अदालत ने कई तल्ख टिप्पणी की है.
कोरोना के इलाज की लचर व्यवस्था पर हाई कोर्ट नाराज, कहा- सुनवाई के दौरान अधिकारी खेलते हैं शपथ पत्र का खेल
कोरोना के बढ़ते संक्रमण और इलाज की लचर व्यवस्था को ठीक करने के बिंदु पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान अदालत ने तल्ख टिप्पणियां करते हुए कहा कि राज्य सरकार के अधिकारी मूकदर्शक बनकर देखते रहते हैं. सुनवाई के दौरान आते हैं और शपथ पत्र-शपथ पत्र खेल खेलते रहते हैं. इसके साथ ही अदालत ने प्रोग्रेस रिपोर्ट सौंपने को कहा है.
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मामले की सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार के स्वास्थ्य सचिव और रिम्स निदेशक सिविल सर्जन उपस्थित हुए. सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को बताया कि संक्रमण की आपात स्थिति को देखते हुए रांची सदर अस्पताल में 300 ऑक्सीजन बेड का इंतजाम किया गया है. रिम्स के लिए भी कई व्यवस्थाएं की गई हैं. लोगों को कठिनाई में निजात मिले इसके लिए सभी उपाय किए जा रहे हैं. अदालत ने उनके जवाब पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि पहले फेज से अधिकारी कोई भी सीख नहीं ली गई. जो व्यवस्था पूर्व में करनी चाहिए थी. वह व्यवस्था अब हो रही है. पूर्व में उन्हें आशंका नहीं थी कि वह आने के बाद क्या स्थिति हो सकती है. अदालत ने मामले में नाराजगी व्यक्त करते हुए मामले में प्रोग्रेस सौंपने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 17 अप्रैल को होगी.