रांचीः हजारीबाग में नाबालिग बच्ची को एसिड पिलाने के मामले में हाई कोर्ट की ओर से लिए गए स्वतः संज्ञान याचिका पर मुख्य न्यायाधीश की बेंच में सुनवाई हुई. अदालत ने पीड़िता के बयान सुनने के उपरांत और केस डायरी को देखने के बाद पुलिसिया जांच पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की और झारखंड सरकार के गृह सचिव और झारखंड के पुलिस प्रमुख डीजीपी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में पेश होकर जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 27 नवंबर को तय की गई है.
नाबालिग को एसिड पिलाने के मामले पर हाई कोर्ट में सुनवाई, गृह सचिव और डीजीपी से मांगा जवाब - झारखंड हाई कोर्ट समाचार
झारखंड हाई कोर्ट में हजारीबाग की एक नाबालिग बच्ची को एसिड पिलाने के मामले में लिए गए स्वतः संज्ञान याचिका पर सुनवाई हुई. इस दौरान अदालत ने पीड़िता के जवाब को सुनने के बाद और केस डायरी को देखने के बाद पुलिसिया जांच पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की. इसके साथ ही झारखंड सरकार के गृह सचिव और झारखंड के पुलिस प्रमुख डीजीपी को जवाब पेश करने को कहा है.
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हाई कोर्ट ने सुना पीड़िता का जवाब
झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में हजारीबाग की एक नाबालिग बच्ची को एसिड पिलाने के मामले में लिए गए स्वतः संज्ञान याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की गई. न्यायाधीश ने अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की. सुनवाई के दौरान डालसा की ओर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में पीड़िता को उपस्थित किया गया. मुख्य न्यायाधीश ने पीड़िता से पूछा, क्या नाम है? उन्होंने अपना नाम बताया उसके बाद उन्होंने पूछा कि आपको कोई यहां आने के लिए दवाब तो नहीं दिया है? जिस पर उन्होंने हां ना में जवाब दिया. उसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने अपना परिचय देते हुए कहा कि "मैं मुख्य न्यायाधीश हूं आपको डरना नहीं है सही-सही आप जानकारी दें." पीड़िता के जवाब और केस डायरी को देखने के उपरांत पुलिस की जांच पर हाई कोर्ट ने सख्त नाराजगी जाहिर की और झारखंड सरकार के गृह सचिव और डीजीपी को 27 नवंबर को कोर्ट में हाजिर होकर जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 27 नवंबर को होगी.
हाईकोर्ट के अधिवक्ता अपराजिता भारद्वाज ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा था कि हजारीबाग में एक नाबालिक बच्ची को एसिड पिलाया गया, यह दुखद स्थिति है और कुछ नहीं हो पा रहा है. अधिवक्ता के उस पत्र पर हाई कोर्ट ने मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका में बदलकर सुनवाई करने का आदेश दिया. उसी याचिका पर सुनवाई के दौरान एसपी हजारीबाग और केस के जांच पदाधिकारी हाजिर हुए अदालत में मामले में केस डायरी पेश की गई है.